फतेहपुर, शमशाद खान । मकर संक्रान्ति की पूर्व संध्या पर गुरूद्वारे मे सिख समुदाये के लोगो ने उत्साह के बीच लोहडी का पर्व मनाया और एक दूसरे को बधाई देते हुये गीत गाये। रात्रि में खुले स्थान में सिख समुदाय व अन्य समुदाय के लोग मिलकर आग के किनारे घेरा बनाकर अग्नि की परिक्रमा किया। ज्ञानी गुरवचन सिंह ने बताया कि लोहड़ी को दुल्ला भट्टी की कहानी से जोड़ा जाता है। लोहड़ी की सभी गानों को दुल्ला भट्टी से ही जुड़ा तथा यह भी कह सकते हैं कि लोहड़ी के गानों का केंद्र बिंदु दुल्ला भट्टी को ही बनाया जाता हैं। दुल्ला भट्टी मुगल शासक अकबर के समय में पंजाब में रहता था। उसे पंजाब के नायक की उपाधि से सम्मानित किया गया था। उस समय संदल बार के जगह पर लड़कियों को गुलामी के लिए बल पूर्वक अमीर लोगों को बेचा जाता था जिसे दुल्ला भट्टी ने एक योजना के तहत लड़कियों को न की मुक्त ही करवाया बल्कि उनकी शादी हिन्दू लडको से करवाई और
उनकी शादी की सभी व्यवस्था भी करवाई। दुल्ला भट्टी एक विद्रोही था और जिसकी वंशवली भट्टी राजपूत थे। उसके पूर्वज पिंडी भट्टियों के शासक थे जो की संदल बार में था अब संदल बार पकिस्तान में स्थित हैं। दुला भट्टी सभी पंजाबियों का नायक था इस लिए लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है । लोहड़ी प्रधान पपिन्दर सिंह की अगुवाई में गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा में बड़ी धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर गुरुद्वारा में लाभ सिंह, सतपाल सिंह सेठी, वरिंदर सिंह, कुलजीत सिंह, परमजीत सिंह, नरिंदर सिंह, दर्शन सिंह, गोविंद सिंह, गुरमीत सिंह, सरनपाल सिंह सनी, हरमंगल सिंह, अनुराग श्रीवास्तव, किसन मेहरोत्रा, महिलाओं में हरजीत कौर, जसवीर कौर, हरविंदर कौर, मंजीत कौर, जसपालकौर, स्मिता सिंह, गुरप्रीत कौर, हरमीत कौर, सिमरन, खुशी, सुखमनी आदि मौजूद रहे।
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