सवा लाख से एक लड़ाऊ, चिड़ियों से मैं बाज तड़ऊं तबे गोबिंद सिंह नाम कहाऊं
फतेहपुर, शमशाद खान । गुरु गोबिंद सिंह की 355वीं जयंती प्रकाश पर्व के रूप के धूमधाम से मनाई गयी। इस अवसर पर सिख समुदाय के घरों व गुरुद्वारों में कीर्तन के साथ ही खालसा पंत की शोभा यात्रा निकाली गयी। साथ ही गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा मे प्रधान पपिन्दर सिंह की अगुवाई में कीर्तन का दरबार व लंगर का आयोजन किया गया। गुरुद्वारा सिंह सभा मे ज्ञानी गुरुवचन सिंह ने गुरु गोविंद सिंह के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उनके द्वारा जीवन के पांच सिद्धांत दिए हैं। केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कच्छा जिन्हें पंच ककार से नाम से जाना जाता है। साथ ही गुरु गोबिंद सिंह के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि बेहद ही निडर और बहादुर योद्धा थे। उनके प्रसिद्ध मत सवा लाख से एक लड़ाऊँ चिड़ियों से मैं बाज तड़ऊं तबे गोबिंद सिंह नाम कहाऊं। गुरु गोबिंद सिंह आध्यात्मिक गुरु होने के साथ ही कवि और महान दार्शनिक भी थे। गुरु गोबिंद सिंह ने ही खालसा वाणी
गुरूद्वारे में लंगर चखती शिख समुदाय की महिलायें |
दी। जिसे वाहेगुरु जी का खालसा वाहेगुरु जी की फतेह कहा जाता है। उन्होंने अपने धर्म की रक्षा के लिए मुगलों से लड़ते हुए पूरे परिवार का बलिदान कर दिया और उनके चारो बेटे बाबा अजीत सिंह, बाबा जुझार सिंह ने चमकौर के युद्ध में शहादत प्राप्त की। जोरावर सिंह व फतेह सिंह को सरहिंद में नीव में चिनवा दिया गया। इस मौके पर वरिंदर सिंह पवि, लाभ सिंह, नरिंदर सिंह, जतिंदर पाल सिंह, गोविंद सिंह, सतपाल सिंह सेठी, सरनपाल सिंह सन्नी, दर्शन सिंह, कुलजीत सिंह, गुरमीत सिंह, उमंग, आकाश सिंह, राजू, जसवीर सिंह, ग्रेटी, नवप्रीत सिंह संत सिंह, लक्की, रौनक, तरन, अर्शित, हरजीत कौर, हरविंदर कौर, जसपाल कौर, मनजीत कौर, हरमीत कौर, गुरप्रीत कौर, जसवीर कौर शीनू, सिमरन, सुखमनी, वरिंदर कौर, खुशी आदि मौजूद रहे।
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