भारत के चार तीर्थों हरिद्वार प्रयाग उज्जैन और नासिक में प्रत्येक 12 वर्षों के पश्चात कुम्भ महा पर्व को मनाया जाता है कुम्भ महा पर्व ज्योतिष गणना के आधार पर होता है. कुंभ के आयोजन में सूर्य और देव गुरु बृहस्पति की अहम भूमिका मानी जाती है 1. जिस समय सूर्य मेष राशि में बृहस्पति कुंभ राशि में हो तब हरिद्वार में कुंभ महा पर्व होता है 2. जिस समय सूर्य मकर राशि में बृहस्पति वृषभ राशि में हो तो प्रयाग में कुम्भ महा पर्व योग होता है 3. जिस समय सूर्य मेष राशि पर हो और बृहस्पति सिंह राशि में हो उस समय उज्जैन में कुंभ महा पर्व होता है 4. जिस समय सूर्य तथा बृहस्पति सिंह राशि पर हो उस समय नासिक में कुंभ पर्व का आयोजन होता है
हिंदू धर्म में कुंभ स्नान का विशेष धार्मिक महत्व है. ऐसा माना जाता है कि कुंभ स्नान करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है, वहीं मोक्ष भी प्राप्त होता है. कुंभ स्नान से पितृ भी शांत होते हैं और अपना आर्शीवाद प्रदान करते हैं. प्रत्येक 12 साल पर हरिद्वार में लगने वाला महाकुंभ इस बार 11वें साल में वर्ष 2021 में आयोजित हो रहा है।सूर्य प्रत्येक वर्ष 14 अप्रैल को मेष राशि में आते हैं। जबकि बृहस्पति प्रत्येक बारह वर्ष बाद कुंभ राशि में आते हैं। इस बार 11वें वर्ष आगामी पांच अप्रैल को बृहस्पति कुंभ राशि में आ रहे हैं। इस दौरान केवल चार शाही स्नान होंगे, इसके अलावा 6 अन्य प्रमुख स्नान होंगे, जिनकी शुरूआत 14 जनवरी, मकर संक्रांति से होगी। कुंभ मेला 2021 पहला शाही स्नान- 11 मार्च शिवरात्रि दूसरा शाही स्नान - 12 अप्रैल सोमवती अमावस्या तीसरा मुख्य शाही स्नान- 14 अप्रैल मेष संक्रांति चैथा शाही स्नान- 27 अप्रैल बैसाख पूर्णिमा अन्य प्रमुख स्नान की तिथियां मकर संक्रांति 14 जनवरी मोनी अमावस्या 11 फरवरी बसंत पंचमी 16 फरवरी माघ पूर्णिमा 27 फरवरी रामनवमी 21 अप्रैल चैत्र पूर्णिमा 27 अप्रैल
-ज्योतिषाचार्य-एस.एस.नागपाल, स्वास्तिक ज्योतिष केन्द्र, अलीगंज, लखनऊ
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