विश्वविद्यालय में आयोजित हुआ दो दिवसीय मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण
बांदा, के एस दुबे । कृषि का क्षेत्र बहुत ही व्यापक है। इसमे प्रक्षेत्र एवं प्रक्षेत्र के बाहर बहुत गतिविधियां की जा सकती हैं। हर गतिविधि हमे आमदनी के साथ-साथ जीविकोपार्जन का साधन उपलब्ध कराता है। रोजगार पाने के साथ रोजगार प्रदान करने के अवसर मिलते हैं। मशरूम उत्पादन कृषि क्षेत्र का ही एक ऐसा उपक्रम है जिसमे कम लागत से मुनाफा कमाया जा सकता है। आवश्यकता है हमे इससे सही समय पर वैज्ञानिक विधि से अपनाने की। दो दिवसीय मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण में कुलपति डा. यूएस गौतम ने यह बातें कहीं।
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मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण को संबोधित करते कुलपति डा. यूएस गौतम |
विश्वविद्यालय द्वारा भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित भारत में उच्च कृषि शिक्षा सुढ़ृढ़ीकरण एवं विकास योजना के अंतर्गत अनुसूचित जाति वर्ग के युवाओं के लिए दो दिवसीय मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण का आयोजन किया गया था। डा. गौतम ने कहा कि प्रशिक्षण प्राप्त युवा इसे रोजगार के रूप मे अपनाएं। डा. गौतम ने यह भी कहा कि किसी कार्य को छोटा या कठिन नही समझना चाहिये। विवि के मशरूम इकाई के प्रभारी व इस कार्यक्रम के समन्यवक डा. दुर्गा प्रसाद ने बताया की इस कार्यक्रम में जनपद तथा बुन्देलखण्ड के अन्य क्षेत्र से अनुसूचित जाति वर्ग के 100 प्रतिभागिओं को मशरूम बीज (स्पान) उत्पादन, ढींगरी (ओएस्टर) व बटन मशरूम उत्पादन तकनीक पर सैद्धांतिक व्याख्यान के साथ साथ प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के बाद प्रशिक्षणार्थियों को 4-4 मशरूम किट व प्रमाणपत्र वितरित की गई। ताकि प्रशिक्षाणार्थी अपने घर में मशरूम का उत्पादन कर उसको घर में प्रयोग करने के साथ बाजार मे भी बेच सकते हैं। डा. प्रसाद ने यह भी बताया कि इस प्रशिक्षण के बाद जो प्रशिक्षणार्थी मशरूम उद्यम में अपना करियर बनाना चाहते हैं या इसे व्यवसाय के रूप में करना चाहते हैं, वे विश्वविद्यालय में आकर प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं।
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