मिर्जा असदुल्ला खान गालिब के जन्म दिवस पर मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन
आयुक्त, आईजी, अपर जिला जज ने भी मुशायरे में की शिरकत
बांदा, के एस दुबे । रविवार की रात को निजामी पैलैस में मिर्जा असदुल्ला खान गालिब के जन्म दिवस के मौके पर एक मुशायरे व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें बांदा के अलावा कई जनपदों के शायरों और कवियों ने भाग लिया। मुशायरा कवि सम्मेलन की अध्यक्षता पूर्व अपर जिला जज बीडी नकवी (लखनऊ) ने की। संचालन नजरे आलम ‘नजर’ ने किया। मुशायरे की शुरुआत करते हुए मिर्जा गालिब और बांदा शीर्षक पर सैयद अहमद मुन्ने मगरबी ने प्रकाश डाला। श्री मगरबी ने बताया कि अपने जीवनकाल में मिर्जा गालिब बांदा दो मरतबा आए और बांदा नवाब के महनमान रहे तथा काफी समय भी बांदा में गुजारा।
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अफजल इलाहाबादी |
मुशायरे की शुरुआत डा0 इजहार खालिद ने गालिब की गजल से की। उन्होंने पढ़ा ‘रगो में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल, जब आंख ही से न टपका तो फिर लहू ही क्या है’। इलाहाबाद से आए शायर अफजल इलाहाबादी ने शेर पढ़ा ‘मेरी तामीर मुकम्मल नहीं होने पाती, कोई बुनियाद हिलाता है चला जाता है’। तरन्नुम नाज फतेहपुरी ने
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तरन्नुम नाज फतेहपुरी |
सुनाया ‘किसको अच्छा कहूं और किसको बुरा बोलूं मै, कोई इल्जाम न सिर आए तो लब खोलूं मै। अफाक निजामी का शेर था ‘अमल में ला, न दिखा शब्ज बाग वादों के गरीब रोटी और कपड़ा, मकान चाहता है। हास्य और व्यंग्य के शायर जीरो बांदवी ने पढ़ा ‘न हम बुजदिल, न हम लागर, न महिताजे करम निकले, न हम उनमें हैं जो कहदें तेरे
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शिवशरण बंधु |
ही दर पर दम निकले’। वो गालिब थे जो बे-आबरू होकर चले आए, हजारों गालियां देकर तेरे कूंचे से हम निकले’।
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जीरो बांदवी |
शिवशरण बंधू फतेहपुर ने कविता पढ़ी ‘रहते-रहते घर में घर हो जाते हैं, चलते-चलते लोग सफर हो जाते हैं, राजनीति में कुछ लोगों की आदत है जिधर बनीं सरकार उधर हो जाते हैं’। इटावा से बांदा पहुंचे शायर सलीम इटावी ने शेर सुनाया ‘गुल मुहब्बत के वो नायाब हुआ करते हैं, तेरी रहमत से जो शादाब हुआ करते हैं। फतेहपुर से आए बुजुर्ग शायर जफर इकबाल ने पढ़ा ‘कद का जब जिक्र छिड़ा लोगों ने दौलत रख दी, हाथ खाली थे मेरे मैने मोहब्बत रख दी’।
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मुशायरे में कलाम पढ़ते जीरो बांदवी और मंचासीन शायर |
कवि सम्मेलन और मुशायरे की अध्यक्षता कर रहे पूर्व अपर जिला जज बीडी नकवी ने मिर्जा गालिब की विशेषताओं पर प्रकाश डाला, साथ ही उन्होंने सौहार्द पर कलाम पढ़ा ‘देश को दे दो ऐसी सीध, घर-घर होली, घर-घर ईद’। कवियत्री सौम्या श्रीवास्तव ने सुनाया ‘कया साझा तुम्हारे साथ उस व्यापार की कीमत, पुकाई है बहुत हमने तुम्हारे प्यार की कीमत। युवा कवि अनुराग विश्वकर्मा ने पढ़ा ‘इश्क ने तोड़ दी हैं सभी बंदिशें, लोग करते रहे मशवरा जात का’। इसके अलावा इस मुशायरा व कवि सम्मेलन में कवियित्री छाया ंिसह युवा कवि अनुराग
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रिटायर्ड अपर जिला जज बीडी नकवी |
वश्विर्मा, ओज कवियत्री आयुषी त्रिपाठी, सौम्या श्रीवास्तव और शायर शमीम बांदवी, मास्टर फखरे आलम, डा0 इजहार खालिद ने भी अपनी-अपनी गजलें और कविताएं सुनाईं। मुशायरा व कवि सम्मेलन में बोलते हुएा कमिश्नर गौरव दयाल एवं आईजी के. सत्यनारायणा ने इस साहित्यिक कार्यक्रम और बांदा के सौहार्द की प्रशंसा की। आपसी सौहार्द के लिए इस तरह के कार्यक्रमों को बेहतर बताया। कार्यक्रम में मंडलायुक्त, आईजी के अलावा अपर जिला जज बांदा रिजवान अहमद, एडीएम संतोष बहादुर सिंह, अपर एसपी महेंद्र प्रताप चैहान, सिटी मजिस्ट्रेट सुरेंद्र
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मुशायरे और कवि सम्मेलन सुनते मंडलायुक्त गौरव दयाल और आईजी के. सत्यनारायणा |
सिंह, लाखन सिंह, बीके सिंह, राजकुमार राज, प्रद्युम्न दुबे, हसनुद्दीन सिद्दीकी, पुनीत गुप्ता एडवोके हाईकोर्ट, वासिफ जमा, अरुण तिवारी, मयंक श्रीवास्तव, डा0 साजिद खान, सादिक न्याजी के साथ-साथ सैकड़ों की संख्या में श्रोता मौजूद रहे। मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन डा. सऊद उज़ जमा, सादी जमा के संरक्षण में मुशायरा कमेटी के सदस्य शोभाराम कश्यप, डा0 इजहार खालिद एवं नजरे आलम ने किया। अंत में कवि सम्मेलन मुशायरा के संरक्षक डा0 सऊद उज जमा सादी जमा ने सभी आए हुए अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
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