बबेरू, के एस दुबे । मौनी बाबा धाम के रामलीला प्रांगण पर दूसरे दिन सुबह से लेकर शाम तक रूप बसन्त नाटक का मंचन उत्तर भारत के प्रसिद्व कलाकरों द्वारा किया गया। चन्द्रसेन के दो पुत्र रूप बसन्त थे। राजा चन्द्रसेन की धर्मपत्नी रानी का स्वर्गवास हो जाता है। राजा के मंत्री जालिम सिंह ने दूसरी शादी के लिए भटकाता है। राजा मंत्री के कहने समझाने पर दूसरी शादी कर लेते है। दूसरी रानी आते ही रूप पर मोहित हो गई। अपने प्रेम जाल में फांसने का भरसक प्रयास किया। लेकिन अपने कारनामों में सफल न होने पर राजा को बरगला कर षडयंत्र करके फांसी का
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रामलीला का मंचन करते कलाकार |
हुक्कम करा दिया। रूप बसन्त के मार्मिक गीतों को सुनकर श्रोता भाव विभोर हो गए। राजा चन्द्रसेन की भूमिका शंकर दत्त त्रिपाठी, रूप चन्दन सांडा, बसन्त फूल कुमार, कौमिक ताराचन्द्र, विष्णु अमित शुक्ला, चित्रावती रानी
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मौजूद दर्शक |
विनोद कुमार, नृतिका नारायन कुमार, साज सज्जा श्रंगार रज्जन ने बखूबी भूमिका निभाकर दर्शको का मनमोह लिया। प्रबन्धक रज्जू तिवारी ने बताया कि भंडारा के अखिरी दिन दिन में नाटक एवं रात को धनुष यज्ञ की रामलीला का मंचन किया जाएगा।
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