कानपुर पुलिस के एक बड़े कारनामे का खुलासा हुआ है। जिसके बाद से पूरे पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया है। दो साल पहले जो वैगनआर कार बर्रा से चोरी हुई थी उससे बिठूर एसओ समेत अन्य पुलिसकर्मी चल रहे थे। 15 दिन पहले कार को सर्विस के लिए सेंटर पर डाला गया जिसके बाद सर्विस सेंटर से कार मालिक के पास फीडबैक लेने को कॉल की गई तब पुलिस की इस करतूत का खुलासा हुआ।
कानपुर कार्यालय संवाददाता:- बर्रा निवासी ओमेंद्र सोनी की विज्ञापन एजेंसी है। उन्होंने बताया कि 31 दिसंबर को इलाके के एक धुलाई सेंटर से उनकी वैगनआर कार चोरी हो गई थी। बर्रा थाने में केस दर्ज कराया गया था। पर कार का कुछ पता नहीं चला। बुधवार को ओमेंद्र के पास हर्ष नगर स्थित केटीएल सर्विस सेंटर से कॉल पहुंची जिसमें पूछा गया कि सर्विस के बाद आपकी कार ठीक चल रही है या नहीं।
ये सुनकर ओमेंद्र हैरान रह गए और तुरंत सर्विस सेंटर पहुंचे। तब पता चला कि 15 दिसंबर को बिठूर एसओ ने कार को सर्विस कराने के लिए सेंटर पर भेजा था। 22 को कार हैंडओवर कर दी गई थी। कार नंबर व चेसिस नंबर के आधार पर ओमेंद्र का विवरण सिस्टम में दिखाई दिया तो सर्विस सेंटर की तरफ से उनको फोन किया गया।
तो आखिर कार की सर्विस क्यों कराई गई
बिठूर एसओ कौशलेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि कार उनके इलाके में लावारिस मिली थी जिसको सीज किया गया था। अब सवाल है कि अगर कार लावारिस बरामद हुई थी तो सीज करने के बाद उसका इस्तेमाल क्यों किया जा रहा था। ये पूरी तरह से गैरकानूनी है।
हैरानी की बात ये भी है कि जब कार लावारिस में मिली थी और बर्रा में उसका केस दर्ज था तो पुलिस को इस बारे में बर्रा पुलिस को सूचना देनी चाहिए थी। बिठूर पुलिस के कारनामे के साथ-साथ पुलिस की लापरवाही भी उजागर हुई है। एसओ अभी तक ये नहीं बता सके हैं कि कार कब सीज की गई थी।
अगर कार लावारिस मिली थी और उसका इस्तेमाल पुलिसकर्मी कर रहे थे तो यह गलत है। मामले की जांच कराई जाएगी। जिसकी भूमिका मिलेगी उसके खिलाफ विभागीय व कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
मोहित अग्रवाल, आईजी रेंज कानपुर
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