कमासिन, के एस दुबे । शासन द्वारा पशु आश्रय केंद्र में बंद गोवंशओं के प्रति एकदम उदासीन हैं।तभी तो शासन द्वारा करीब आठ माह से एक धेला पैसा नहीं उपलब्ध कराया गया है। इससे व्यवस्था एकदम बदहाल हो गई है।चारे की समस्या ठंड से बचाव के साथ-साथ दैनिक मजदूरो की मजदूरी आड़े आ रही है।यदि एक सप्ताह के अंदर बजट शासन द्वारा नहीं उपलब्ध कराया गया।तो गोवंशको केंद्रों से छोड़ दिया जाएगा। जिसकी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी। क्षेत्र के प्रधानों कलावती, वर्षा देवी सहित कई प्रधानों ने अवगत कराया है कि प्रदेश सरकार द्वारा अप्रैल माह से व्यवस्था के लिए कोई धनराशि नहीं उपलब्ध कराई गई है। नवंबर माह भी समाप्त हो रहा है आठ महीने हो गए। जिससे व्यवस्था चरमरा कर रह गई है। ऐन केन प्रकारेण अभी तक इधर
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गो आश्रय स्थल में बदतर हालत में गोवंश |
उधर से पैसा लेकर व्यवस्था करते रहे हैं। लेकिन अब व्यवस्था संभालने में भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। मांग के बावजूद भी शासन प्रशासन द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।जिससे व्यवस्था बद सेबदतर हो गई चारा ठंड से बचाव व्यवस्था में लगे दैनिक मजदूरों की मजदूरी की समस्या खड़ी हो गई है। मजदूर अब लड़ाई झगड़ा पर आमादा हो रहे हैं और गोवंश की देखरेख से इनकार कर रहे हैं। प्रधानों ने चेतावनी दी है कि यदि एक सप्ताह के अंदर शासन द्वारा बजट नहीं दिया गया तो पशु आश्रय केंद्रों से पशुओं को अन्ना छोड़ दिया जाएगा, जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी। उधर इस संबंध में जब स्थानीय पशु अस्पताल के प्रभारी डा. कमलेश कुमार सिंह से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि ब्लॉक क्षेत्र में चालीस पशु आश्रय संचालित है। अप्रैल माह से आज तक आठ महीना व्यतीत होने के बाद भी शासन द्वारा कोई बजट नहीं दिया गया है, जिससे गो आश्रय केंद्रों की व्यवस्था चरमरा कर रह गई है।
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