देवेश प्रताप सिंह राठौर
(वरिष्ठ पत्रकार )
.........आज भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पर कोलकाता में जिस तरह से तृणमूल कांग्रेस पार्टी ने हमला किया वह वास्तव में बहुत ही निंदनीय है लोकतंत्र में किसी को रोकना किसी को ठोकना किसी को किसी स्थान पर ना जाने देना यह चीज संभव नहीं है और राजनीति इस तरह करने वालों की राजनीति का अंत सुनिश्चित है एक बात कही गई है विनाश काले विपरीत बुद्धि जब किसी पार्टी या किसी दल या किसी परिवार का विनाश होता है तो उसकी बुद्धि ईश्वर इस तरह बना देते हैं कि वह अपने अहंकार में अंधा हो जाता है अच्छे बुरे का ज्ञान भूल करो सिर अपने वर्चस्व को बरकरार रखना चाहता है जिस कारण उसको हार का सामना करना पड़ता है इस तरह का इतिहास के पन्नों पर बहुत सारे उदाहरण है। जब अमित शाह जी कोलकाता में ममता बनर्जी की सरकार ने उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने और नेताओं द्वारा भारत के गृह मंत्री अमित शाह पर हमला कराया था, उस समय मैंने लिखा था राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर या अपने विवेक पर ममता बनर्जी की सरकार को बर्खास्त करना चाहिए जिस तरह भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं की हत्याएं हो रही हैं जिस तरह से जात का फैक्टर तेजी से बढ़ रहा है वह दिखाई देता है हत्याएं भारतीय जनता पार्टी के यह किसी भी पार्टी के कार्यकर्ताओं राजनीतिक में हत्याएं होना राजनीति में अपराधीकरण का वर्चस्व माना जाता है। आज की राजनीति उसी तरह उत्तर प्रदेश में जब समाजवादी पार्टी की सरकार थी कई हत्याएं हुई बहुत लोगों ने एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप किए परंतु उत्तर प्रदेश में हत्याओं की लिस्ट समाजवादी पार्टी के समय बहुत सारी हुई लेकर विधानसभा सदस्य एवं जिला पंचायत तक के लोगों की हत्याएं होती रही जो पार्टी से निकल गया वह भी हत्या के बहुत सारे लोगों ने आशंका जताई सपा के शासन में दिग्गजों को जो बड़े-बड़े नेता थे अपराधी थे और उनके साथ हटने पर उन्हें मृत्यु रूपी पुरस्कार प्राप्त हुआ, इस तरह की चर्चाएं पर चर्चाएं सुनी गई लेकिन किसी के पास सबूत नहीं था क्योंकि जब बात मुख्यमंत्री के संज्ञान में हुई आती है तो उस प्रदेश में कोई भी व्यक्ति सरकार के विरुद्ध जाना नहीं चाहता, कोई हिम्मत करता भी है तो महाराष्ट्र में जिस तरह कंगना रनौत फिल्म इंडस्ट्रीज की कलाकार के घर को तोड़ दिया गया और इस समय कंगना रनौत फिल्मी कलाकार आज हिमाचल प्रदेश में अपने गृह प्रदेश में जा कर रही है। यह होता है किसी सत्तापक्ष का विरोध करने का फल यह कोई नई बात नहीं है आपराधिक जगत के लोग राजनीति में हावी है जब इस तरह के लोग राजनीति में होंगे हत्याएं और हत्याओं का विरोध करने वाला भी हत्या यह आर्थिक रूप से नुकसान उसके साथ हो सकता है। जेपी नड्डा ने अपने वक्तव्य में कहा कि पश्चिम बंगाल में अगर सेंटर की पुलिस ना हो तो यहां पर अन्य दलों का चलना बड़ा मुश्किल है विशेषकर भारतीय जनता पार्टी को जिस तरह से गुंडाराज हो रहा है जेपी नड्डा अध्यक्ष बीजेपी ने कहा यही है कोई भी पार्टी किसी राज में चुनाव के समय क्या वहां जाकर वह अपना वक्तव्य नहीं रख सकती है इस तरह की ममता बनर्जी की राजनीत अध्यक्ष जेपी नड्डा बोले अब मैं हर जगह हर मोहल्ले हर विधानसभा में जा जाकर लोगों को जागृत करूंगा कि भारतीय जनता पार्टी इस बार कमल पश्चिम बंगाल में खिलाएगी इसके लिए भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कमर कस ली है और ममता सरकार को अवगत करा दिया है कि तुम जितने भी हम लेकर आओ हम इतने अधिक क्षेत्रों में दौरा करेंगे और पश्चिम बंगाल में
गोल्डन कमल खिला कर रहेंगे। ममता सरकार बौखला गई है कि उसकी जमीन अब से शक्ति नजर आ रही है वह जब अपने भाषण में बोलती हैं तो मैं व्यक्तिगत तौर पर देखता हूं तो मुझे वह एक आम तरह की भाषा और मधुरता सरलता कहीं नहीं दिखती सिर्फ तेवर रहते हैं माफियाओं की तरह इस तरह से राजनीति मैं अच्छा नहीं होता तो जनता इस तरह लोगों को निकालकर सत्ता से फेंक देती है l उत्तर प्रदेश के जिलों में प्राप्त जानकारी के अनुसार कोरोना संक्रमित संक्रमित लोगों की मी दिनोंदिन घटती जा रही है यह अच्छे संकेत हैं। परंतु क्या रिपोर्ट में वास्तविकता कहां तक सत्य है उसका जानने की जरूरत है । कोरोना संक्रमित इस तरह से निरंतर औषध गिरने में लोगों को संदेह हो रहा है कहीं ऐसा तो नहीं सरकार द्वारा दी गई गाइडलाइन का गोपनीय कोई आदेश हो इस कारण कोरोना संक्रमित लोगों की मात्रा घट रही है। जबकि डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के आधार पर करोना अभी खत्म नहीं हुआ है अभी बहुत ही गंभीर स्थिति में है लोगों को बहुत ही नियम संयम एवं हो गई दूरी मास के जरूरी, हेलमेट लगाओ तब गाड़ी चलाओ जिंदगी है बहुत जरूरी है नहीं रह जाएगी बीच में ही अधूरी परंतु क्या इन सब्जियों का कोई पालन करता है ना कोई गाड़ी चलाते समय हेलमेट है ना कोई कोरोना संक्रमित काल में मांस लगाता है। हम उस देश के वासी हैं जो लोकतंत्र है प्रजातंत्र है यहां पर सब को अधिकार चाहे वह आतंकवादी हो चाहे वह देशद्रोही हो चाहे और गैर राजनीतिक दल हैं यहां पर सब को सम्मान दिया जाता है। हमारा भारत देश जहां जैसी बात हो वहां भी विरोध जहां विरोध हो वहां पर समर्थन यह कार्य निरंतर चलते रहते है। मुझे आपको बताना चाहता हूं इस देश में रहने वाला कोई भी देशद्रोही ताकतों को समर्थन में होता है। उससे भारत सुरक्षा प्रदान करती है यह पूर्व सरकारों में निरंतर यह सब चलता रहा है। मैं आपको बताना चाहता हूं जहां पर में बैठकर नौकरी करता हूं वहां पर हम जय श्री राम बोलने में झिजकते है,। और वह सब कुछ बोलते हैं शब्द अपशब्द हम सब सुनते हैं वही नहीं बोलता इससे स्पष्ट होता है हम हिंदुस्तान के वासी हैं लेकिन आज हम अपने को दबाकर चलने की स्थिति बनी हुई है और अल्पसंख्यक हाभी है हम लोगों का सम्मान करते परंतु लोग देश विरोधी गतिविधियों से मुख्य रूप से नरेंद्र मोदी और योगी जी को तो कई बार दिन मे अपशब्द बोले जाते हैं। इतना जाती फैक्टर हिंदुस्तान में हावी है। आज हम जब देखते हैं बड़ी-बड़ी संस्थाएं हैं या व्यक्तिगत छोटे से कारोबार से लेकर बड़े-बड़े कारवाही तक कुछ लोगों को छोड़कर अपने छोटे कर्मचारियों का उत्पीड़न करते हैं और ओ सिलसिला नीचे से ऊपर तक एक ही आवाज बोलता है जो नीचे का अधिकारी लिख देता है ऐसा क्यों मेरा मानना है अगर कोई व्यक्ति परिश्रम ही है उसका सबसे बड़ा गहेना है और आत्मविश्वास उसका सबसे बड़ा ईश्वर है ।जहां पर आप विश्वास है कि हम सही हैं और परिश्रम कर रहे हैं तो ईश्वर अवश्य साथ देता है एक कटु सत्य है। परंतु कभी-कभी हम किसी का हित करने में और अपने पद और कद के अहंकार में अपने कनिस्टो की हेल्प नहीं करते हैं उनके दुख सुख में हम भागीदार नहीं बनते हैं, तो मुझे लगता है वह एक परिवार नहीं है वह एक सामाजिक दृष्टिकोण से जो विभागीय की तौर पर एक परिवार होता है ।जिस परिवार में बड़ा जो मुखिया होता है क्षेत्र का या कोई बहुत बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी का जिससे हम मिल नहीं सकते हैं ,लेकिन उनके जो नुमाइंदे हैं छोटी-छोटी जो पद के अनुरूप नहीं है उन्हें पद मिला है मेरा मानना है अगर कोई 10 घंटे में जो व्यक्ति कार्य करता है वही कार्य अगर कोई दूसरा 2 घंटे में करके बैठ जाता है तो उसको क्या कहा जाएगा क्या उसको नकारा कहा जाएगा आज वही जीवन में सफल है जो 1 घंटे का काम 10 दिन में करते हैं और उन्हें वरिस्टो का संरक्षण प्राप्त हो जाता है और 14 घंटे का काम 2 घंटे में करके रख देता है और फिर बैठ जाता है तो नकारा कहा जाता है ।क्योंकि वह ईमानदार है वह 10 घंटे का कार्य वह उस कार्य को 2 घंटे में कर देता है और बैठ जाता है। तो उसको बोला जाता है यह काम नहीं करता है और जो 10 घंटे तक वही फाइल पलटा रहता है उसी को कार्य करने वाला कहां जाता है , जो इडर का माल उधर करे वह कर्मठ माना जाता है ,यह न्याय मैंने अन्याय के रूप में देखा है व्यक्ति अगर अपने मुख से कहता है कि मैं ईमानदार हूं तो वह इमानदार नहीं है। लेकिन मैं दावे के साथ कहता हूं कि मैं ईमानदार हूं मैं जहां रहता हूं जिस जगह कार्य करता हूं पूर्ण ईमानदारी के साथ उस मालिक के साथ और उस विभाग में अपने कनिष् ठ के साथ बहुत स्नेह प्यार रखता हूं लेकिन कुछ कनिष्ठ भी बहुत दुष्ट आत्मा के हैं उनको भी समझना पड़ता है लेकिन इतना तंग दिल से नहीं समझना पड़ता है कि वरिष्ठ लोग उसको उसका इस तरह वन्ना देते है। दूसरे वरिष्ठ से लड़ाई करवा कर उसका अहित करने में जो कार्य करते हैं मैं उस नीच पर्वत का व्यक्ति नहीं हूं मैं हमेशा अपने छोटे का सम्मान करता हूं मैं क्योंकि एक छोटा व्यक्ति हूं मेरे पिताजी की 93 में मृत होने के बाद मैं बहुत ही विचलित हो गया था जो कि जीवन में पापा का साथ कभी नहीं छोड़ा था उसके बाद मेरी मां ने मुझे बाप मां का प्यार किया और मेरी मौसी जो प्रिंसिपल थी इटावा में उन्होंने मेरा बहुत स्नेह प्यार दिया आज जो दुनिया में नहीं है किडनी खराब होने के कारण 2011 में मुंबई में उनका देहांत हो गया सब सोचता हूं तो यही लगता है कि जीवन शून्य है लेकिन उनमें एक का आसरा है ओ एक अंक है जो सुनने को 0 को बनाता है मैंने उस oको 10 बनाने का कार्य किया है ,सुनय को मिटाने का कार्य नहीं किया है मैं किसी के लिए नहीं करता जब कोई मेरे बारे में गलत सोचता है ,गलत धारणा रखता है तब मैं विचलित हो जाता हूं फिर मेरे संस्कार जो मां बाप ने दिए हो मुझे अपने संस्कारों का इस्तेमाल करना होता है ,क्योंकि पाप करना पाप सहैना अन्याय करना औ अन्याय सहें ना दोनों ही पाप है। ,समझने की जरूरत है अति जिस चीज की होती है अति से ही अंत बना है, जब हम ज्यादा किसी के पास अन्याय करेंगे तब अन्याय का अंत होना निश्चित है ।इसलिए जो जिस पथ पर है उस पद पर बने रहने के लिए अनुशासन तो जरूरी है लेकिन उस व्यक्ति को हमेशा एक तराजू से अपने कनिस्टी को देखना चाहिए ना कि वहां पर जाती फैक्टर कार्य फैक्टर और उन बातों को ना बनाया जाए तो मैं समझता हूं।तो एक संस्था या परिवार अच्छा चल सकता है। और कनिष्ठ कर्यकर्ता अच्छा कार्य कर सकते है।या मेरी सोच है।
No comments:
Post a Comment