चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि। मुख्यालय स्थित तरौंहा में आचार्य अंबिका प्रसाद द्विवेदी के निज निवास में चल रही संगीतमय श्रीमद् भागवत महापुराण कथा को वृंदावन से पधारे आचार्य शिवदीप पाण्डेय ने श्रोताओं को अवगत कराया कि जब-जब होय धर्म की हानि, बाढहि असुर अधम अभिमानी, तब-तब धरि प्रभु मनुज शरीरा, हरहि शोक सज्जन कै पीरा। धर्म की रक्षा के लिए ही होता है प्रभु का अवतार। प्रमाण देते हुए कहा कि प्रभु श्रीराम व भगवान श्रीकृष्ण का अवतार दुष्टों के विनाश तथा सज्जनों की शोक दुख हरण के लिए ही हुआ था। आचार्य शिवदीप शास्त्री ने श्रोताओं को समझाकर बताया कि जब-जब पृथ्वी में अत्याचार, अधर्म, आसुरी प्रवृत्ति बढ़ती है तब तब प्रभु का अवतरण होता है।
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कथा रसपान कराते भागवताचार्य। |
असुरों का वध करके ेहोते अधर्म को धर्म में बदल देते हैं। धर्म की स्थापना कर भक्तों को आनंद प्रदान करके प्रभु स्वधाम को प्रस्थान कर जाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म उत्सव पर उन्होंने उनकी लीलाओं का चिंतन करने सेे जन्म जन्मांतर युग युगान्तर कप कल्पांतर के पाप समाप्त होते हैं। श्रीकृष्ण जन्म के समय आचार्य ने स्वमधुर गीतो से जय कन्हैया लाल की आदि प्रसंग सुनाकर भक्तों का मन मोहा। वहीं महिलाओं ने कई तरह के सोहर गीत का गायन किया। श्री शास्त्री ने हर्षोल्लास वातावरण में श्रीराम जन्म एवं कृष्ण जन्मोत्सव मनाया। इस अवसर पर दर्जनों समाजसेवियों व सम्मानित लोगों ने कथा श्रवण में भागीदारी की। आरती के पश्चात प्रसाद वितरण किया गया।
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