देवेश प्रताप सिंह राठौर
(स्वतंत्र पत्रकार)
......... आज मैं संक्षेप में थोड़ा सा लिखना चाहता हूं लोग कहते हैं ऑनेस्टी इस द बेस्ट पॉलिसी और वह लोग कहते हैं जिनकी पॉलिसी तो है इमानदारी की पर इमानदार है नहीं क्योंकि इमानदारी को एक उन्होंने बेस्ट पॉलिसी मांग कर ईमानदारी के नाम से छल करके लोगों को मूर्ख बना कर अपना कार्य सिद्ध करना है यह एक सोच पॉलिसी ऐसी रखो जिसे इमानदारी दर्शाए और इमानदारी दूर-दूर तक कहीं नहीं है। मैंने कई बहुत से स्थानों पर यह चीज सुनी है इमानदारी से बेस्ट पॉलिसी लेकिन मैंने इस पर यह लिखना चाहा उनके स्वभाव और आचरण को देखते हुए पॉलिसी शिव इमानदारी दिखावे के लिए यह पॉलिसी है और जो ईमानदार होते हैं वह कहते नहीं हैं उनकी ईमानदारी झलकती है और आज हम सब लोग यह धारणा बना ली है एक दूसरे को नीचा दिखाना और दूसरा फैक्टर बन जाता है जातिगत लोग जाति को बहुत बड़ा अस्त्र मानते हैं। मैं आपको बताना चाहता हूं जब विश्वनाथ प्रताप सिंह जब प्रधानमंत्री थे उन्होंने आरक्षण को लागू किया और यह आरक्षण कांग्रेस ने अपने एजेंडे में बहुत पहले
से बना रखा था परंतु लागू नहीं किया लागू विश्वनाथ प्रताप सिंह ने किया अब आप समझिए आरक्षण समाज के लिए हितकर नहीं है आरक्षण का असर सबसे ज्यादा किस जाति पर पड़ा है वह आप समझ सकते हैं और जान सकते हैं लिखने की जरूरत नहीं है एक क्षत्रिय, वैश्य, और श्रीवास्तव, सक्सेना, खरे निगम,( जिन्हें हम लाला कहते हैं) इन पर भी आरक्षण का उतना असर नहीं हुआ इनका आवश्यक आरक्षण के पहले जितना था उतना आज भी है आरक्षण का नुकसान अगर किसी को हुआ है वह एक साथ है जिसे आप सब समझ चुके होगे लिखने की आवश्यकता नहीं है। आज बहुत सी चीजें ऐसी है जो लोग किसी संस्था या किसी व्यक्तिगत व्यवहार के कारण किसी कंपनी में कार्य कर रहे हैं और अपनी इमानदारी का स्वयं बखान कर रहे हैं मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं उसका जितना चोर इंसान कोई हो ही नहीं सकता क्योंकि ईमानदारी वाला चेहरा चमकता है और बेईमान का चेहरा झुक जाता है। मैं अपनी बात अडिग रहता हूं। क्योंकि संघर्ष ही एक जीवन है जो व्यक्ति संघर्ष से डर जाता है और आत्महत्या कर लेता है उसे मैं कायर कहता हूं। क्योंकि मानव जीवन बड़ी मुश्किल से प्राप्त होता है संघर्ष करने की क्षमता होनी चाहिए। मैंने बहुत जगह कई लोगों के मुख से यह सुना है ऑनेस्टी इस द बेस्ट पॉलिसी जबकि सिर्फ पॉलिसी है, ऑनेस्टी के रूप में धोखा देने की पॉलिसी बना रखी है।
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