चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि। तुलसी जन्मस्थली राजापुर में दीप महोत्सव की पूर्व संध्या में नरक चतुर्दशी एवं हनुमान जन्मोत्सव हनुमान मंदिरों में रामचरितमानस अखण्ड पाठ हनुमान चालीसा, हनुमानाष्टक, हनुमान बाहु आदि संकट हरण ग्रंथों का बड़े श्रद्धा भाव से हनुमान जी की प्रतिमाओं का पूजा अर्चना, आरती करते हुए पाठ प्रारम्भ किए गए हैं।
बताते चलें कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था और नरकासुर को साकेत भेंट कर मोक्ष प्रदान किया था। तभी से नरक चतुर्दशी का एक विशेष महत्व है और आज के दिन लोग बड़े श्रद्धा भाव से मोक्ष प्राप्ति के लिए पूजा अर्चना कर दीप जलाते हैं तथा पुराणों, स्मृतियों के अनुसार संकट मोचन अंजनी पुत्र केसरी नन्दन का जन्मोत्सव हनुमान भक्तों के द्वारा बड़े धूमधाम से मनाए जाने की परंपरा है। राजापुर कस्बे के सन्त तुलसी सेवा आश्रम के संचालक आचार्य पं रामनरेश द्विवेदी ने बताया कि नरक चतुर्दशी के दिन ही संकटमोचन बजरंगबली का जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से कई वर्षों से मनाते चले आ रहे हैं। आज के दिन जो भक्त संकटमोचन केसरी नन्दन की पूजा अर्चना बड़े श्रद्धा भाव से करते हैं उनकी मनोकामना भक्त सिरोमणि के द्वारा
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हनुमान मंदिर में पूजा करते पुजारी। |
पूर्ण की जाती है। उन्होंने बताया कि गौतम ऋषि की पुत्री अंजना श्राप वश एक पर्वत की गुफा में रहकर मारुति नामक बालक को जन्म दिया था और बाल्यकाल में ही मारुति चंचल एवं बलशाली थे और उन्होंने बचपन काल में ही उन्होंने भास्कर भगवान का ग्रास करके पूरी सृष्टि में अंधकार पैदा कर दिया था। तभी सम्पूर्ण देवताओं ने आकर मारूतिनन्दन की आराधना कर सूर्य भगवान को मुक्त कराते हुए शक्तियाँ प्रदान की थीं तथा एक ऋषि ने बल का ज्ञान भूल जाने का श्राप दिया था इसी कारण समुद्र लंघन के समय जामवंत जी के द्वारा बल पौरुष एवं शक्तियों का ज्ञान कराया। तभी संकटमोचन बनकर अपने स्वामी परमात्मा राम के बिना विलम्ब के सम्पूर्ण कार्य किया। वहीं हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर सिद्ध प्रतिमा हनुमान जी के पुजारी सूर्यप्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि संवत 1620 से लेकर संवत 1631 तक रामचरितमानस के रचयिता सन्त सिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपने घर के पश्चिम दिशा में पड़ी एक शिला में चंदन से हनुमान प्रतिमा को बनाकर पूजा अर्चना किया करते थे। एक दिन उस आकृति का विसर्जन करना भूल गए तभी से यह चंदन से युक्त हनुमान आकृति उस शिला में विद्यमान है। त्रिपाठी ने बताया कि अगहन मास में हनुमान मेला अनवरत एक माह तक चलता है जिसमें कौशाम्बी, प्रयागराज, प्रतापगढ़, रायबरेली, लखनऊ, चित्रकूट, बाँदा, महोबा, हमीरपुर आदि जनपदों के भक्तगण दर्शन को आते हैं और वृहद भण्डारे का आयोजन किया जाता है। आज के दिन हनुमान मंदिरों में अखण्ड रामचरितमानस का पाठ, हनुमान चालीसा, हनुमान बाण, हनुमानाष्टक तथा सुन्दर काण्ड का पाठ कर बड़े धूम धाम से हनुमान जन्मोत्सव मनाए जाने की परम्परा चली आ रही है। इसी प्रकार रैपुरा तिराहे के पास स्थापित संकटमोचन मन्दिर में अखण्ड रामचरितमानस पाठ एवं वृहद भण्डारे का आयोजन आयोजक न्यू दुर्गा पूजा समिति प्राइमरी पाठशाला राजापुर द्वारा किया गया। हनुमान जयंती में ओंकार पाण्डेय, दीपकमणि मिश्रा, गौरव द्विवेदी, रामखेलावन ओझा, चंद्रशेखर द्विवेदी, रमाशंकर पाण्डेय, केदारनाथ गर्ग, कौशल किशोर पाण्डेय, पूजा द्विवेदी आदि लोगों ने हनुमान जयंती पर बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।
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