देवेश प्रताप सिंह राठौर
( वरिष्ठ पत्रकार )
एवं डॉ. शम्भू पटेल
भारत देश जैसे लोकतांत्रिक देश में कवियों, लेखकों एवं शायरों को अपनी कलम से खुलकर बोलने - लिखने की संपूर्ण आजादी है किंतु इसका मतलब यह नहीं कि कोई भी लेखक अपनी कलम का दुरुपयोग करें ! मैं यह इसलिए कह रहा हूं क्योंकि अभी वर्तमान में देश के विख्यात शायर मुनव्वर राणा जी ने पिछले महीने अक्टूबर माह में फ्रांस में हुई आतंकी घटनाओं पर जो विवादास्पद बयान दिया है वह शर्मनाक है इससे हमारे देश की छवि भी धूमिल होती है ! आपको बता दें फ्रांस में पिछले महीने एक अध्यापक द्वारा मोहम्मद साहब का कार्टून दिखाने पर छात्र ने उस अध्यापक की हत्या कर दी थी उस आतंकी हमलावर छात्र का बचाव करते हुए मुनव्वर राणा जी ने जो विवादास्पद बयान दिया था वह इस प्रकार है उन्होंने कहा - "उस छात्र ने सही किया उसकी जगह मै होता तो मैं भी यही करता"! ऐसा पहली बार नहीं है जब मुनव्वर राणा ने विवादास्पद बयान दिया हो, बल्कि इस तरह के
विवादास्पद बयान वो अक्सर देते रहते हैं इसी वर्ष 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में हुए राम मंदिर शिलान्यास पर भी शायर मुनव्वर राणा ने सर्वोच्च न्यायालय की कार्यप्रणाली पर अविश्वास जताते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय में कभी इंसाफ नहीं हो सकता उन के बिगड़े बोल इस तरह के थे कि उन्होंने वर्तमान मुख्य न्यायाधीश रंजन गगोई पर भी कम दामों में बिकने का आरोप लगा दिया!मुनव्वर राणा जी को देश का एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते मैं बताना चाहता हूं इस तरह के बयानों से देश पर तो कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, परंतु आपके व्यक्तित्व एवं आपके संपर्क में आने वाले आपके संबंधी पर अवश्य प्रभाव पड़ेगा! आपके वचनों से प्रेरित होकर आप की पुत्री सुमैया राणा सीएए एवं एनसीआर के विरोध में भाग लेने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय गई थी वहां पर जाकर उन्होंने भी विवादास्पद बयान दिया था इस पर आप चुप रहे कहीं ना कहीं है यह इस बात का संकेत है कि आप उनके बयान से सहमत थे!
मुनव्वर राणा आप देश के बहुत बड़े शायर है! आप इतने बड़े शायर कैसे बन गए यह तो मैं नहीं जानता परंतु जहां तक मुझे पता है आप की जो ग़ज़ल है उन्हीं की वजह से आप विख्यात हुए हैं ! मुजाहिरनामा नाम की गजल जो आपने भारत के बंटवारे में भारत से पाकिस्तान गए लोगों जिन्हें आपने मुजाहिद कहा उनके दर्द को बयां किया जो कि अपनी इच्छा से पाकिस्तान गए थे न कि भारत से भगाए गए थे, जिन्होंने पाकिस्तान जाकर वहां पर सिंधिओ को मारा परंतु उस पर आपने कोई भी गजल नहीं लिखी! यह देश का गद्दार है इस देश का सायर है।
आतंकवादी समूहों का मुख्य उद्देश्य लोगों के बीच आतंक पैदा करना होता है और वे लोगों को निरंतर इसी डर और खौफ के साथ देखना पसंद करते हैं तथा इस उद्देश्य पुरा करने के लिए वो समय-समय पर विभिन्न छोटी-बड़ी आतंकवादी गतिविधियां करते रहते हैं। भारत में लगभग 100 से भी अधिक आतंकवादी संस्थाए चल रही हैं और वे देश में तनाव और भय का माहौल उत्पन्न करने में सफल भी हो रही हैं। इन आतंकवादी समूहों द्वारा कई आतंकवादी गतिविधियां की गई हैं। भारत अपने पड़ोसी देश द्वारा मुख्य रूप से पाकिस्तान द्वारा किए गए आतंकवादी कृत्यों से बहुत हानि हुई है।जैश-ए-मोहम्मद: यह जम्मू-कश्मीर में संचालित एक पाकिस्तानी आतंकवादी समूह है, जिसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर पर कब्जा करना है। इस समूह ने घाटी के अपने लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए कई आतंकवादी हमलों को भी अंजाम दिया है।लश्कर-ए-तैयबा: यह एक इस्लामवाद आतंकवादी समूह है जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के साथ-साथ भारत के जम्मू-कश्मीर के क्षेत्रों में भी काम कर रहा है। इसे पाकिस्तान द्वारा वित्त पोषित किया जाता है और ये भारत में कई बड़े आतंकवादी हमलों के लिए जिम्मेदार है।माओवादी: 2004 के वामपंथी आतंकवादियों और भारत सरकार के बीच वार्ता के बाद, नक्सली समूहों के विलय से इस आतंकवादी समूह का निर्माण हुआ था।यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ़ असम (उल्फा): यह आतंकवादी समूह भारतीय राज्य असम में विभिन्न आतंकवादी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार है। भारत परन्तु विडमबना यह है कि इन आतंकवादी समूहो द्वारा किये गये बम धमाको और आंतकवादी गतिविधियो के बावजूद भी, ज्यादेतर समय सरकार इन तक पहुंचने और इनके विरुद्ध कड़ी कारवाई करने में असफल साबित हुई है।में व्यापक प्रसार आतंकवाद के कई कारण हैं। भारत में मुख्य रूप से चार प्रकार के आतंकवाद हैं। इसमें धार्मिक आतंकवाद, नार्को आतंकवाद, वामपंथी आतंकवाद और एथनो-राष्ट्रवादी आतंकवाद शामिल हैं। विभिन्न आतंकवादी संगठनो से जुड़े आतंकवादी अलग-अलग कारणों से एक जुट हो सकते हैं, परन्तु उनके अधीन चल रहे सभी आतंकवादी संगठनो का मुख्य उद्देश्य समान ही होता है और यह आम जनता के बीच बड़े स्तर पर भय और दहशत पैदा करने के लिए सदैव तैयार रहते है।भारत में आतंकवाद के कुछ मुख्य कारण यहां दिए गए हैं:भारत विभिन्न धर्मों की भूमि है। विभिन्न धर्मों के लोग बड़े पैमाने पर देश में शांति और सद्भाव के साथ रहते हैं, वहीं कई ऐसी धार्मिक चरमपंथी संगठन भी हैं जो उनके बीच दरार पैदा करना चाहती हैं। ये समूह अपने धर्म की शिक्षाओं के बारे में झुठा दावा करती हैं और यह साबित करने का प्रयास करती हैं कि उनका धर्म दूसरों के धर्म से श्रेष्ठ है। अतीत में इन समूहों द्वारा किए गए कई हिंसक आंदोलनों ने देश की शांति और सद्भाव को भंग भी किया है और इस प्रकोप के कारण कई लोग को नुकसान भी हुआ है, जिसमे कई लोगो को अपनी जीवन भी गवाना पड़ा हैं।चरमपंथी समूहों द्वारा इस प्रकार के आतंकवाद को सदैव उकसाया जाता है। जब एक राज्य की आबादी का प्रमुख हिस्सा खुद को अलग करने तथा अपना अलग राज्य/देश बनाने की इच्छा व्यक्त करता हैं तो वो आतंकवाद को बढ़ावा देता हैं। पंजाब में खालिस्तान आंदोलन इस प्रकार के आतंकवाद के उदाहरणों में से एक है। इस तरह के आतंकवाद के कारण कश्मीर जैसा सुंदर भारतीय राज्य भी इससे पीड़ित है क्योंकि कुछ कश्मीरी इस्लामी समूह कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बनाना चाहते हैं। उसी तरह नागालैंड, त्रिपुरा, असम और तमिलनाडु भी इस प्रकार के आतंकवाद से पीड़ित हैं।सरकार तथा देश की राजनीतिक व्यवस्था से असंतुष्ट लोग आतंकवादी समूह का गठन करते हैं। भारत में वामपंथी उग्रवादियों को नक्सलवाद के नाम से जाना जाता हैं। अतीत में नक्सलवादीयों ने देश की राजनीतिक व्यवस्था से निराश होकर कई आतंकवादी हमले भी किए हैं। उन्होंने सशस्त्र विद्रोह के साथ सरकार को उखाड़ फेकने का लक्ष्य बनाया है, जिससे वह स्वंय की सत्ता का निर्माण कर ,भारत अपने सामाजिक-आर्थिक असमानता के लिए जाना जाता है। जहां अमीर और अमीर होते जा रहे हैं तथा गरीब और गरीब। ये गरीब वर्ग के बीच असमानता की भावना पैदा करता है। जिसके कारण ये ऊपरी वर्ग के लोगों को नष्ट करने के लिए आतंकवादी संगठनो में शामिल हो जाते हैं। वे ज्यादातर सत्ता लोगों तथा उच्चवर्गीय इलाकों को लक्ष्य बना कर आतंकवादी हमले करते हैं।आतंकवाद ने देश पर व्यापक प्रभाव डाला है।।
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