भागवत कथा का हुआ शुभारंभ
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि। श्रीमद भागवत कथा के प्रथम दिन भागवताचार्य शिवदीप शास्त्री की अगुवाई में दर्जनों महिलाओं, पुरुषों ने गाजे-बाजे के साथ शोभायात्रा निकाली गई। कथा वाचक ने धुंधकारी, भागवत के महात्म्य की कथा का रसपान कराया। बताया कि भागवत की महिमा पुराणों, वेदो व शास्त्रों ने गाई है। भागवत कल्पवृक्ष का पका हुआ फल है।
शुक्रवार को मुख्यालय के तरौंहा में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन कलश यात्रा के साथ हुआ। महिला-पुरुषों ने सिर में कलश रखकर नगर भ्रमण किया। वृंदावन से आए भागवताचार्य शिवदीप शास्त्री ने विधिविधान से पूजा कर कथा प्रारंभ किया। उन्होंने बताया कि श्रीमद् भागवत व रामायण दो महाग्रंथ सात जन्मो को पवित्र करते हैं। मानव जीवन के आचरण में यदि इन्हें उतारा जाये तो सारे समाज का कल्याण होने के साथ ही जीव का उद्धार होता है। कहा कि पिता जब पुत्र को प्रेमपूर्वक उछालता है तो रोता नहीं हंसता है, क्योंकि उसे भरोसा है कि वह फेकेंगा नहीं। यही उदाहरण जीवन का है। भक्त और भगवान के बीच अटूट भरोसा होता है। कथा प्रसंग में भागवत
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भागवत कलश यात्रा। |
महात्म्य के बारे में विशेष बातें समझाई गई। भागवत प्रवक्ता ने कहा कि भागवत की महिमा पुराणों, वेदो व शास्त्रों ने गाई है। भागवत कल्पवृक्ष का पका हुआ फल है। जिसके सेवन से मानव जीवन के कल्याण के साथ समाज सहित जीव का उद्धार होता है। उन्होंने बताया कि इसे बार-बार पीना चाहिए। उन्होंने धुंधकारी उद्धार व भागवत महात्म्य की कथा विस्तार से सुनाया। इस मौके पर यजमान आचार्य अंबिका प्रसाद द्विवेदी, विजयशंकर द्विवेदी, अजय द्विवेदी, अंजू द्विवेदी, प्रभा द्विवेदी, महेश द्विवेदी, अभिषेक, अनिल द्विवेदी, अरुण द्विवेदी, भोले द्विवेदी, दीपक भारद्वाज, सिद्धार्थ पयासी, रामेश्वर द्विवेदी, सुधीर द्विवेदी, सोनू द्विवेदी आदि श्रोतागण मौजूद रहे।
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