बरद्वारा गांव में दीवारी लोकनृत्य में मची धूम
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि। बुन्देलखण्ड की मिट्टी में पुरानी परम्पराएं अभी भी जीवित है बुन्देलखण्ड की दिवारी समूचे देश में विल्कुल अलग है आपको बता दें दीवाली आते ही गांव-गांव कलाकारों द्वारा अपनी रंगबिरंगी विशेष वेशभूषा में सजे धजे और पैरों व कमर में घुंघरू बांधे कलाकारों द्वारा दिवारी नृत्य में अनेक प्रदर्शन किए जाते हैं इसी क्रम में राजापुर तहसील अंतर्गत बरद्वारा गांव में दीपावली त्यौहार पर बुंदेलखंड के परंपरागत दिवारी लोकनृृत्य ने धूम मचा दी लोकगीत और भजनों के बीच लाठी चलाने की कला लौर नृत्य तथा अन्य कलाकारी पर ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया बाजे गाजे के बीच जमकर नृत्य किया और लाठी का हैरान कर देने वाला प्रदर्शन किया और साथ ही मोर पंखधारी लोगों ने उनकी संगत दी और मौजूद दर्शकों ने तालियां बजाकर उनका उत्साहवर्धन किया बुन्देलखण्ड में दीपावली पर्व आते ही दीवारी गायन-नृत्य की अनूठी परंपरा देखती ही बनती है दीवाली पर्व पर विधि पूर्वक पूजन कर पूरे नगर में ढोल नगाड़ों की थाप पर दीवारी गाते, नृत्ये करते हुए उछलते-घूमते हुए अपने गंतव्य को जाते हैं दीवारी गाने व खेलने वालों में मुख्यतः अहीर, गड़रिया, आरख आदि जातियों के युवक ज्यादा रुचि रखते हैं दीवारी गाने वाले लोग गांव के संभ्रांत लोगों के दरवाजे पर पहुंचकर कड़ुवा तेल पियाई
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दीवारी नृत्य करते। |
चमचमाती मजबूत लाठियों से दीवारी खेलते हैं। उस समय युद्ध का सा दृश्य न आता है। एक आदमी पर एक साथ 18-20 लोग एक साथ लाठी से प्रहार करते हैं, और वह अकेला खिलाड़ी इन सभी के वारों को अपनी एक लाठी से रोक लेता है। इसके बाद फिर लोगों को उसके प्रहारों को झेलना होता है। चट-चटाचट चटकती लाठियों के बीच दीवारी गायक जोर-जोर से दीवारी गीत गाते हैं और ढ़ोल बजाकर वीर रस से युक्त नृत्य का प्रदर्शन करते हैं और व्यक्तियों के समूह में विभिन्न प्रकार के करतब्य मजीरा-नगड़ियां के साथ दिखाते हैं। नृत्य में धोखा होने से कई बार लोग चुटहिल भी हो जाते हैं। ज्यादातर चुटहिल होने वालों में नैसिखुवा‘ होते हैं। लेकिन परम्पराओं से बंधे ये लोग इसका कतई बुरा नहीं मानते हैं और पूरे उन्माद के साथ दीवारी का प्रदर्शन करते हैं। इन्हीं अनूठी परम्पराओं के चलते बुन्देलखण्ड की दीवारी का पूरे देश में विशिष्ट स्थान व अनूठी पहचान हैइस मौके पर विजय यादव,कल्याण यादव,लल्लू यादव, विजैया यादव, विजय किशोर यादव, समेत दर्शक चन्दन सिंह, कुलदीप सिंह, अमर सिंह, सूरज पाण्डेय, सुखेन्द्र सिंह, सतेंद्र सिंह आदि दर्शक मौजूद रहे।
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