जूठे बर्तन धुलकर दो जून की रोटी जुटाने में लगे मासूम
फतेहपुर, शमशाद खान । शादी समारोह में जूठा पत्तल व प्लेटे धुलाई करने जाने वाले मासूमों की मतायंे पूरी-पूरी रात मासूमों के आने के इंतजार में जागकर बिताती हैं। ये देश के कानून की विडंबना कही जाये या गरीबी। मंहगाई के कारण परिवार का पालन पोषण करने में अक्ष्ंाम माता-पिता शादी समारोहो में अपने कम उम्र के अबोध बच्चों से काम कराने पर मजबूर हैं। ये अबोध बच्चे विभिन्न समारोहों में जूठे बर्तन धुलकर पैसा कमाते हैं। जिससे परिवार के लिए दो जून की रोटी जुटाने में सहयोग कर रहे हैं। सरकार किसी दल की रहे। इससे गरीब, मजदूर, किसान को कुछ लेना देना नही है।
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कूड़ा बिनता व शादी समारोह में जूठे बर्तन उठाते बच्चे। |
देश की आजादी के बाद से आज तक कई सरकारे आई और गयी पर देश के गरीब मजदूर किसान की हालत जैस की तस बनी हुई हैं। किसान मजदूर दिन प्रतिदिन अपनी बदहाली पर सरकार एंव स्थानीय प्रशासन से समय-समय पर सुविधाओं की मांग कर अपनी अवाज बुन्लद करता देखा जाता है, लेकिन मासूम नाबालिक बच्चों के लिए बनाये गये कानूनों पर अमल न होने की लड़ाई आज तक किसी स्वंयसेवी संगठन द्वारा नहीं लड़ी जा रही है। जिसका नतीजा साफ तौर पर देखने को मिल रहा है। जिले के नौनिहाल कूड़े कचरे के ढे़र में दो जून की रोटी के लिए कचरा इक्ठ्ठा कर कचरे की पुटकी सर पर लादे हुए दुकानदारों के यहां बेचने लिए लाइन में खड़े है। कचड़ा कबाड़ खरीदने वाला दुकानदार मासूम बच्चों के मेहनताना के हिसाब से रकम न देकर थोड़े पैसे देकर भगा देते है। क्या इन मासूमों को कचरा बिनते हुए स्थानीय पुलिस एंव स्थानीय प्रशासन को नहीं दिख रहा है। स्थानीय प्रशासन देखते हुए भी क्या अनजान है स्थानीय प्रशासन अगर अनजान है तो क्या इन मासूमों को जन्म देने वाली मां एंव परवरिस का बोझ निभाने वाले पिता भी अनजान हैं। जिनके कलेजे के टुकड़े कहे जाने वाले आठ-आठ वर्ष के मासूम शाम ढलते ही मां-बाप के साय से दूर रह कर पूरी-पूरी रात शादी समारोहों में इस ठण्ड में नाली के ऊपर बैठकर जूठे बर्तन धुलाई करते देखे जा रहे है। क्या जन्म देने वाली मां अपने कलेजे के टुकड़ो से प्यार नहीं करती या गरीबी इन्हे पत्थर दिल बना दिया है। नौनिहालों के लिए बनाये गये कानूनों की धज्जियां उड़ाने में अधिकारी काफी आगे है। इसी तरह लाइन ढाबों, होटलों, रेस्टोरेन्ट में भी नौनिहाल काम करते हुए देखे जा सकते है। कहने को तो प्रदेश में लेबर निरीक्षक से लेकर मंत्रालय तक का गंठन सरकार ने कर रखा है लेकिन श्रम विभाग के अधिकारी नाबालिकों को बालिक की निगाह से देखकर मोटी रकमें लेकर कोई कार्यवाही नाबालिकों पर कार्य कराने वालों पर नहीं करते है।
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