मंहगाई का नहीं दिखा असर, मिठाई की बिक्री सबसे ज्यादा
फतेहपुर, शमशाद खान । हिन्दू समाज का सबसे बड़ा पर्व दीपावली कल (आज) अमावस्या को मनायी जायेगी। दीवाली को लेकर लोगों में गजब का उत्साह है तथा गजब की महंगाई के बावजूद लोग पूरी ताकत से इस पर्व को मनाने के लिए खरीददारी में व्यस्त हैं क्योंकि दीपावली के दिन लक्ष्मी-गणेश की पूजा का खास महत्व है, इसलिए मिट्टी एवं पीओपी से बनी लक्ष्मी गणेश की मूर्तियों से बाजार पटी पड़ी है। आज छोटी दीवाली (नरक चतुर्दश) यानी कल दीपावली का महापर्व होना है। ऐसे में चारों तरफ रोशनी और पटाखों की बहार है। दिवाली लइया-गट्टों का भी पर्व है। साथ ही मिठाइयों का भी इस महापर्व में खास महत्व है।
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लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां खरीदती महिलाएं। |
हिन्दू पर्वो में दीपावली सर्वोपरि है, ग्रंथों के अनुसार इस दिन लंका फतह के बाद मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम अपनी भार्या सीता और अनुज लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे थे। इस खुशी में अयोध्यावासियों ने दीपावली मनायी थी। हजारों वर्ष बाद भी भगवान श्रीराम से जुड़ा यह पर्व आज भी पूरे उत्साह और परम्परा के साथ मनाया जाता है। महापर्व एक बार फिर प्रत्येक भारतीय परम्परा वाले सख्श के घरों में मनाया जायेगा। दीपावली से दीपों का जुड़ाव भी उतना ही महत्व रखता है जितना दीपोत्सव से आम व्यक्ति का जुड़ाव या यूं कहा जाए कि बगैर दीपों के दीपावली कहा, वो भी दीप सोने, चांदी या पीतल तांबे के नहीं सिर्फ मिट्टी के पके हुए होने चाहिए। दीपावली में दीपों को जलाने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। विज्ञान से जुड़े लोग कहते हैं कि चैमास में कीट पतंगों की बहुतायत होती है और इन दीपों से कीड़ों का बड़ी संख्या में पतन होता है। यही नहीं शुद्ध सरसों या राई के तेल से दीप जलाये जायें तो आसमानी गंदगी भी कम होती है। दीपावली को लेकर अयोध्या कुटी के समीप लगाये गये पटाखा बाजार में भी लोगों की भीड़ उमड़ी। हालांकि इस वर्ष जिला प्रशासन समेत तमाम स्वयंसेवी संगठनों ने लोगों से अपील की है कि पटाखों के बजाये उन पैसों से दूसरों के घरों को रोशन करें। इस लिहाज से इस वर्ष पटाखा व्यवसाय में उतनी तेजी नहीं है लेकिन बच्चों की जिद के आगे बड़ों ने पटाखा बाजार पहुंचकर खरीददारी की। पूरा दिन बाजार में चहलकदमी देखी गयी।
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