कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष अष्टमी को अहोई अष्टमी के रूप में मनाते है। इस वर्ष अहोई अष्टमी 8 नवंबर को है। इस दिन स्त्रियां अपनी संतान के लिए उपवास करती है और बिना अन्न-जल ग्रहण किये निर्जल व्रत रखती है। संायकाल को कुछ लोग तारों को अघ्र्य देकर और कुछ लोग चन्द्रमा को अघ्र्य देकर
व्रत को पूर्ण करती है। इस दिन सायंकाल दीवार पर 8 कोणों वाली एक पुतली बनाई जाती है और पुतली के पास ही स्याऊ माता और उनके बच्चे बनाये जाते है। ये व्रत संतान सुख और संतान की कामना के लिये किया जाता है। शाम को व्रत कथा का पाठ किया जाता है। इस दिन पूजा मुर्हूत सायंकाल 05ः15 से 06ः34 है
तारों को देखने के लिये साँझ का समय - सायंकाल 05:43
अहोई अष्टमी के दिन चन्द्रोदय समय - रात्रि 11:44
- ज्योतिषाचार्य एस.एस.नागपाल, स्वास्तिक ज्योतिष केन्द्र, अलीगंज, लखनऊ
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