बाँदा, के0 एस0 दुबे - स्टेशन रोड बाँदा निवासिनी जगवती चौरसिया पत्नी बृजलाल के मामले में जिला उपभोक्ता फोरम ने बांदा डिस्ट्रिक्ट को बैंक लि बांदा के मामले में परिवाद पत्र में कहा गया था कि बैंक ने उसके खाते में धन राशि होने के बावजूद 300 की चेक का भुगतान न करना और परिवादी के साथ कटु भाषा का प्रयोग करना भी सेवा में कमी के अन्तर्गत आता है। वर्ष 1996 में तत्कालीन अध्यक्ष जिला जज विकर्मजीत सिंह, बाल गोविंद त्रिपाठी और राम किशोरी पुरवार की पीठ ने आदेशित किया था कि बैंक द्वारा उपभोक्त के खाता में धनराशि उपलब्ध हो और बैंक से भुगतान न किया जाना सरासर अन्याय और सेवा में कमी को दर्शित करता है। फ़ोरम ने बैंक को आदेश दिया कि वह एक माह के अंदर 5 हजार अदा करें।
बैंक ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील दायर किया। आयोग ने जिला फ़ोरम द्बारा पारित आदेश के पर रोक लगा दी। राज्य आयोग द्वारा जुलाई 2020 में पत्र भेजते हुए जिला फ़ोरम को सूचित किया कि बैंक की अपील उनकी अनुपस्थिति के कारण निरस्त हो गई है। जिला उपभोक्ता संरक्षण आयोग मे लंबित निस्पादन वाद अब प्रभावी हो गया है। बैंक के पास अब एक ही विकल्प है कि वह या तो अनुपालन सुनिश्चित करते हुए 5000 फोरम में जमा करें अथवा राष्टीय आयोग नई दिल्ली में अपील दायर करे। इस मामले में सैयद अली मंजर वरिष्ठ अधिवक्ता के द्वारा उपभोक्ता की और से पैरवी की जा रही है।
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