30 नवम्बर को कार्तिक पूर्णिमा, श्री गुरू नानक जयन्ती है और राजस्थान में पुष्कर मेला भी इस दिन प्रारम्भ होगा। कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है इस दिन भगवान विष्णु का प्रथम मत्स्यावतार हुआ था। इस दिन भगवान विष्णु का व्रत , पूजन और दान करने का विधान है। कार्तिक पूर्णिमा को गंगा स्नान एवं तीर्थ स्थान पर स्नान - दान का बड़ा महत्व है। गंगा स्नान कर दान करने से अनन्त पुण्य फल की प्राप्ति होती है। सायंकाल दीपदान किया जाता है। इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा 29 नवम्बर को रात्रि 12ः47 से प्रारम्भ होकर 30 नवम्बर को दिन में 02ः59 तक है।
इस दिन वाराणसी में देव दिवाली के रूप में मनाया जाता है। भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन त्रिपुरासुर का वध किया था इसलिए देवताओं ने स्वर्ग में दीपक जलाए थे इस दिन को देव दीपावली के रूप में मनाया जाता है । प्रातः गंगा में स्नान के बाद सांयकाल घाटों और मन्दिरों को दीये से सजाया जाता है।
गुरूनानक देवजी की जयन्ती कार्तिक पूर्णिमा को मनाई जाती है। गुरूनानक देवजी का जन्म संवत् 1469 की कार्तिक पूर्णिमा को ननकाना साहिब में हुआ था। गुरू नानक देव जी सिखों के प्रथम गुरू और सिख धर्म के संस्थापक है। गुरू नानक जी समाजसुधारक, दार्शनिक और योगी थे। गुरू नानक देव जी ने देश के कई जगह यात्रायें करके साम्प्रदायिक सौहार्द का उपदेश दिया।
- ज्योतिषाचार्य-एस.एस.नागपाल, स्वास्तिक ज्योतिष केन्द्र, अलीगंज, लखनऊ
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