कार्तिक शुक्ल एकादशी को देवोत्थानी एकादशी और प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं। इस वर्ष देवउठनी एकादशी 25 नवम्बर को है। इस दिन चातुमांस समाप्त होता है। इस दिन भगवान विष्णु जो क्षीर-सागर में सोए हुए थे, वो जागते हैं हरि के जागने के बाद से ही सभी मांगलिक कार्य शुरू किए जाते है। इस दिन भगवान विष्णु, माँ लक्ष्मी और तुलसी की विशेष पूजा और व्रत किया जाता है। तुलसी का विवाह शालिग्राम से किया जाता है। व्रती स्त्रियाँ इस दिन प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त होकर आंगन में चैक पूरकर भगवान विष्णु के चरणों को कलात्मक रूप से अंकित करती है। तुलसी विवाह उत्सव भी प्रारम्भ होता हैं। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है 25 नवम्बर देवत्थानी एकादशी एवं तुलसी विवाह के उपरान्त 5 माह से रूके हुये विवाह आदि मांगलिक कार्य प्रारम्भ होगें जो कि 11 दिसम्बर तक विवाह के 11 शुभ मुर्हूत होगे। 16 दिसम्बर से सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने से खरमास लग जायेगा और मकर संक्रान्ति 14 जनवरी 2021 तक खरमास में विवाह के लिए मुहूर्त नहीं होगें
वर्ष 2021 में 19 जनवरी से 15 फरवरी तक 27 दिन गुरु तारा अस्त हो जाएगा और शुक्र 17 फरवरी से 17 अप्रैल तक 60 दिन शुक्र तारा अस्त हो जाएगा जिसके कारण 18 जनवरी को एक विवाह मुहूर्त हैै फरवरी मार्च 2021 में विवाह मुहूर्त नहीं हैै एवं 14 मार्च से 14 अप्रैल मीन खरमास रहेगा जिसके कारण विवाह आदि कार्य नहीं होगें 22 अप्रैल 2021 से विवाह मुहूर्त प्रारम्भ होगें
ज्योतिषाचार्य-एस.एस.नागपाल, स्वास्तिक ज्योतिष केन्द्र, अलीगंज, लखनऊ
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