कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर धनतेरस के साथ पांच दिवसीय दीपोत्सव यानि दिवाली के पर्व का आंरभ हो जाता है जो भाई दूज तक चलता है। १-धनतेरस २- नरक चतुर्दशी, हनुमान जयंती ३- दीपावली ४- गोवर्धन पूजा
५- भाई दूज इस बार यह त्योहार 5 दिन की बजाय 4 दिन का पड़ रहा है।
13नवम्बर दिन को धनत्रयोदशी (धनतेरस) कार्तिक कृश्ण त्रयोदशी को धनतेरस के रूप में मनाया जायेगा। इस वर्ष कन्या राशि और चित्रा नक्षत्र का संयोग मिल रहा है। त्रयोदशी तिथि 12 नवम्बर को रात्रि 09ः30 से प्रारम्भ होकर 13 नवंबर शुक्रवार को सांय 06ः00 तक रहेगी। इस दिन धनाध्यक्ष कुबेर की पूजा होती है व धनवन्तरी जयंती भी होती है इस दिन आयुर्वेद के जन्मदाता भगवान धनवन्तरी का समुद्र मंथन से प्राकट्य हुआ था। इस दिन भगवान् धनवन्तरि की पूजा की जाती है और उनसे आरोग्य की कामना की जाती है एवं इस दिन यमदीप दान किया जाता है। सायंकाल कोे आटे या मिट्टी के दीपक में तेल डालकर चार बत्तियां जलाकर मुरव्य द्वार पर रखा जाता है। इस दीपदान से असामयिक मृत्यु का भय समाप्त होता है। इस दिन बर्तन, चांदी, सोना, वाहन, प्रापर्टी, इलेक्ट्रानिक सामान , वस्त्र आदि खरीदना शुभ व समृद्विकारक होता है।
चौघड़ियानुसार लाभ -प्रातः 7ः46 से 09ः08 , अमृत-प्रातः 09ः08 से 10ः29, शुभ-दिन 11ः50 से 01ः12, चर-दिन 03ः55 से 05ः16, लाभ- रात्रि 08ः34 से 10ः12
अभिजीत मुहूर्त- दिन 11ः2 से 12ः12 प्रदोष काल सांय 05ः16 से 07ः54 (शुभ) वृषभ लग्र-सांय 05ः21 से 07ः17 तक (अतिशुभ) है।
धनतेरस में पूजा का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल सांयकाल 05ः16 से 07ः54, वृषभ लग्न सांयकाल 05ः21 से 07ः17 तक है।
ज्योतिशाचार्य एस. एस. नागपाल, स्वास्तिक ज्योतिश केन्द्र, लखनऊ
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