छठवें दिन भी देवी मंदिरों से लेकर घरों तक गूंजे जयकारे
अखण्ड पाठ के अलावा धार्मिक कार्यक्रमों का दौर जारी
फतेहपुर, शमशाद खान । शारदीय नवरात्र के छठवें दिन मां कात्यायनी का श्रृंगार किया गया। श्रद्धालुओं ने देवी मंदिरों, पण्डालों के साथ-साथ घरों पर भी मां की आरती उतारकर कोरोना से खात्मे की प्रार्थना की। कोरोनाकाल के बावजूद आस्था भारी दिखाई दी। मंदिरों व पण्डालों में मास्क लगाकर ही भक्तों को प्रवेश दिया गया। अखण्ड पाठ के अलावा धार्मिक कार्यक्रमों का दौर भी जारी रहा। महिलाओं ने घरों पर देवी गीत गाकर मइया को मनाने का काम किया।
![]() |
मां कात्यायनी की आरती करता भक्त। |
नवरात्र के छठवें दिन भी देवी मंदिरां, पण्डालों व घरों में भक्ति गीत सुनाई दिये। भक्तों ने मंदिरों में पहुंचकर मां के छठवें स्वरूप कात्यायनी की पूजा अर्चना की। वहीं मंदिरों में धार्मिक कार्यक्रमों का भी दौर जारी है। गुरूवार का सुबह से ही शहर के दुर्गा मंदिर, ताम्बेश्वर मंदिर, कालिकन मंदिर, मोटेे महादेवन समेत अन्य मंदिरों के साथ-साथ दुर्गा पण्डालों में भक्तों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। मंदिरों में रद्धालुओं की बड़ी संख्या में भीड़ रही। श्रद्धालु माता के जयकारे लगाते हुए पूजा-अर्चना करते नजर आये। भक्तों ने जल, फूल, नारियल, बतासा चढ़ाकर व चुनरी ओढ़ाकर मां के छठवें स्वरूप की विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना की। शहर के कई स्थानों पर सजे पण्डालों में भी भीड़ नजर आयी। सुबह व शाम होने वाली आरती में महिलाएं व पुरूष शामिल हुए। पण्डालों में आरती के बाद प्रसाद का वितरण भी किया गया। बताया जाता है कि कत नामक महर्षि के पुत्र ऋषि कात्य ने भगवती पराम्बा की उपासना कर उनसे घर में पुत्री के रूप में जनम लेने की प्रार्थना की थी। मां भगवती ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली थी। इन्हीं कात्य गोत्र में विश्व प्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे। कुछ काल के बाद दानव महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर बढ़ गया था। तब भगवान ब्रम्हा, विष्णु, महेश तीनों ने अपने-अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को उत्पन्न किया। महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की। इसी कारण से यह कात्यायनी कहलाईं। भगवान कृष्ण को पति रूप मं पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्हीं की पूजा यमुना तट पर की थी। नवरात्र के छठे दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में होेता है।
No comments:
Post a Comment