सफेदपोश संरक्षण में बिना परमिशन व एनओसी के हो रहा खनन
दस फीट से अधिक हो चुका गड्ढा, विभाग की लापरवाही उजागर
फतेहपुर, शमशाद खान । औंग थाना क्षेत्र में बीते लगभग चार माह से अवैध मिट्टी खनन वन विभाग की जमीन पर चल रहा है। जिससे स्थानीय किसानों की समस्याएं दिन दूना-रात चैगुना हो रही हैं। वन विभाग की जमीन पर हो रहे मिट्टी के खनन की पुष्टि ग्राम प्रधान सूर्यपाल ने की है। उन्होंने बताया कि पूर्व के राजस्व अभिलेखों में उक्त जमीन एक विभाग के नाम पर दर्ज है, लेकिन वर्तमान में उक्त जमीन काश्तकारों के नाम पर दर्ज हो चुकी है। यह खेल किसके आदेश पर हुआ यह नहीं पता है।
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अवैध मिट्टी खनन का दृश्य। |
अवैध खनन से फसल की उपज कम होने पर किसान उग्र होकर भविष्य में प्रदर्शन भी कर सकते हैं। किसान कहते हैं कि मामले की उच्च स्तरीय अधिकारियों से संपर्क कर अवैध खनन संचालकों पर कार्रवाई के साथ किसानों की समस्याओं से अधिकारियों को रूबरू कराया जाएगा। अगल-बगल खनन होने से किसानों की समस्या पैदावार, पानी के साथ कीटनाशक दवा का छिड़काव करने पर मिट्टी की सतह पर बलून की जनजाति जैसी समस्याएं पैदा हो रही हैं। इससे किसानों को पैदावार व फसल उगाने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पहले तो खनन एक जगह संचालित होता था, लेकिन सोमवार की प्रातः सुबह से ही बिन्दकी क्षेत्र के एक कानून संचालक ने बिना परमिशन के ही खनन का शुभारंभ कर दिया, जिससे स्थानीय किसानों में आक्रोश व्याप्त है। किसान राम किशोर निवासी मानिकपुर ने बताया कि हम लोगों की जीवन यापन का एकमात्र साधन कृषि कार्य ही है, लेकिन अगल-बगल मिट्टी का खनन होने से पानी की समस्या उत्पन्न हो गई है, जिससे समय पर फसल को पानी नहीं मिल पाता और पानी के अभाव में पैदावार पहले की तुलना में एक तिहाई बची है। यदि ऐसा ही रहा तो हम लोगों के सामने पेट भरने के लिए बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी।
रोक के बावजूद हो रहा अवैध खनन: प्रधान
फतेहपुर। ग्राम प्रधान सूर्य पाल यादव ने बताया कि पुराने राजस्व अभिलेखों में शिवराजपुर, सगुनापुर, मानिकपुर, दमौती खेड़ा में बहुतायत जमीनों पर वन विभाग दर्ज रहा है। बीच में किसके आदेश से भू-राजस्व अभिलेखों में परिवर्तन कर के सुरक्षित भूमि को कास्तकारों के नाम दर्ज करा दिया गया है, यह नहीं पता है। उन्होने कहा कि वर्तमान में किसानों के नाम उक्त भूमि दर्ज है। वर्ष 2016-17 तक खनन विभाग ने भट्ठों हेतु पलोथर मिट्टी के पट्टे खनन के लिये थे। इसके बाद वन विभाग द्वारा वन भूमि का दावा किया गया। इसके बाद से अब तक खनन विभाग ने खनन की सभी पत्रावलियों पर एनओसी नहीं दी। जिसके कारण किसी भी प्रकार की खनन पर रोक के बावजूद अवैध खनन देखने को मिला रहा है। खनन से स्थानीय किसानों के सामने फसल उत्पादन के लिए पानी की सिंचाई जैसी बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। इससे खेती बाड़ी में पैदावार में बड़ी गिरावट आ गई है।
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