देश की आजादी के महानायक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का लगाव कानपुर से अधिक था। इसी के चलते वह 18 वर्षों में सात बार कानपुर आए और 19 दिनों तक यहां ठहरे। 31 दिसंबर 1916 को वह पहली बार कानपुर आए। देश की आजादी के लिए वह समय काफी महत्वपूर्ण था। ऐसे में महात्मा गांधी ने अहिंसात्मक रूप से आजादी के लिए उठ खड़े होने की प्रेरणा का सूत्रपात किया।
इस-इस दिन हुई गांधी जी की कानपुर यात्रा
31 दिसंबर 1916 21 जनवरी 1920 14 अक्टूबर 1920 8 अगस्त 1921 23 दिसंबर 1925 22 सितंबर 1929 22 जुलाई 1934
गांधी जी ने किया शास्त्रार्थ
कानपुर कार्यालय संवाददाता:- कानपुर प्रवास के दौरान 24 जुलाई 1934 को गांधी जी ने छुआछूत जैसी कुरीति को समाप्त करने के लिए वाराणसी के चार सदस्यीय सनातन प्रतिनिधि मंडल से शास्त्रार्थ किया। गांधी जी ने प्रतिनिधि मंडल के प्रश्नों का उत्तर देकर उन्हें निरूत्तर कर दिया। इसी दिन गांधी जी राष्ट्रीय भाषा समिति के प्रतिनिधि मंडल से मिले और उनके साथ हरिजन विमर्श किया। गांधी जी के विमर्श ने उपस्थित लोगों को झकझोर दिया। इस प्रतिनिधि मंडल में ब्रज बिहारी मल्होत्रा बालकृष्ण शर्मा नवीन, छैल बिहारी बाजपेयी कंटक और बाबा राघवदास थे।
तिलक हाॅल का उद्घाटन किया
22 जुलाई 1934 को गांधी जी कानपुर पहुंचे और पांच दिन ठहरे। इस दौरान 24 जुलाई को उन्होंने तिलक हाल का उद्घाटन किया। 25 जुलाई को आर्य प्रतिनिधि सभा को संबोधित किया और खादी पर जोर दिया। चार आना सदस्यता शुल्क और स्वयं द्वारा काते गए खादी सूत से बना कपड़ा पहनने के गांधी जी प्रस्ताव पर इस सभा में दो व्यक्तियों ने विरोध किया तो उन्होंने कहा प्रस्ताव मेरा नहीं बल्कि कार्य समिति का था जो लोकतंत्र के दायरे में लिया गया था। राष्ट्रीय आंदोलन की सफलता के लिए धन और खादी दोनों को जरूरी बताया। जिसके बाद शहर और इसके आसपास 14 खादी भंडार खुले। मेस्टन रोड का खादी भंडार लंबे समय तक लोगों को खादी पहनाता रहा।
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