(बिहार चुनाव पर विशेष कविता)
कविता/ कमलेश कमल
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लोकतंत्र का गजब मौज है,
तेरा नंबर आएगा।
दलबल लेकर घर आएगा,
जख्मों को सहलाएगा।
सालों के मकड़ी के जाले ,
कुछ बातों से झाड़ेगा।
सूखे खेत-पथारों में भी,
मोटर पानी लाएगा।
बात न पूछो माल-मवेशी,
अच्छी नस्लें लाएगा।
दूध-दही की नदी बहेगी ,
त्रेता द्वापर आएगा।
चूल्हे की बुझती राखों से,
चिंगारी भड़काएगा।
अदद निवाला सपना क्यों हो,
छप्पन भोग खिलाएगा।
रंग-बिरंगे चमचम चश्मे,
तुमको देकर जाएगा।
थमा पोटली सपनों की,
बूथों तक ले जाएगा।
छट जाएंगे मकड़ी जाले,
दलबल कोई आएगा।
पाँच साल तुम बाट जोहना,
तेरा नंबर आएगा।
आपका ही,
कमल
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