हमीरपुर, महेश अवस्थी । किशनू बाबू शिवहरे महाविद्यालय में विमर्श विविधा के अंतर्गत जिनका देश ऋणी है के तहत संपूर्ण क्रांति के जनक जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कालेज के प्राचार्य डॉक्टर भवानीदीन ने कहा के जयप्रकाश नारायण सच्चे अर्थों में सियासत के एक ऐसे नेता थे ,जिन्हें इस क्षेत्र का विश्व ब्रांड कहा जा सकता है । उन जैसा महान पुरुष दोबारा जन्म लेना मुश्किल है ।वे सही मायने मे राष्ट्र सेवी थे,वे जनवादी राजनीति के प्रणेता थे । जयप्रकाश नारायण का 11 अक्टूबर 1902 को बिहार और उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे हुये बलिया जिले के गांव सिताबदियारा से हटकर खेतीवाली जमीन बबूरवानीवाली जगह मे हरसू दयाल के घर जन्म हुआ था । इनकी माता का नाम फूलरानी था । यह बचपन से ही पढ़ने में बहुत मेधावी थे । इनकी शिक्षा गांव तथा पटना में हुई, उसके बाद 1922 में यह अमेरिका चले गए और वहां पर 1929 तक रहे । वहीं से बी ए और एम ए
किया।आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण जय प्रकाश नारायण ने वहां पर जूता पालिश भी की , ।उसके बाद 1929 मे ये स्वदेश लौटे, गांधी जी से मिले और उनके आंदोलनों में भाग लिया । यदि सही अर्थों में देखा जाए तो ये कभी भी शांत नहीं बैठे, देश के लिए सदैव तत्पर रहे । 1970 के बाद 1974 में इन्होंने छात्र आंदोलन का नेतृत्व किया , जिसे सम्पूर्ण क्रांति का नाम दिया गया , 9 अप्रैल1974 को छात्रों ने इन्हें लोकनायक की उपाधि से विभूषित किया । 1965 जयप्रकाश नारायण को मैग्सेसे पुरस्कार मिला ।1977 में सारे दलो का नेतृत्व कर एक मजबूत दल की लौह महिला इंदिरा गांधी को हराया । 1975 के आपातकाल मे इन्होने जेल के अन्दर बहुत यातनाएं सही । मरणोपरांत 1999 मे इन्हें भारत रत्न से नवाजा गया । डा लालता प्रसाद , अखिलेश सोनी, आरती गुप्ता ,गनेश शिवहरे , गंगादीन, आनंद विश्वकर्मा ,राकेश यादव प्रदीप यादव ,सुरेश सोनी उपस्थित रहे । संचालन डॉक्टर रमाकांत पाल ने किया।
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