देवेश प्रताप सिंह राठौर....
(वरिष्ठ पत्रकार)
.......... आज के जीवन में सबसे बड़ी कठिनाई एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को किस तरह पीड़ा पहुंचाई जाए , कठिनाई जितनी भी आए पर व्यक्ति को हिम्मत नहीं हारना चाहिए , आज बहुत से लोग परेशानियों को देख कर आत्महत्या कर लेते हैं मां बाप को दुखी करके चले जाते हैं मेरा मानना है जो लोग कठिनाइयों से भागकर अपने जीवन को समाप्त कर लेते हैं। वह कायर हैं वह उन्हें यह नहीं पता मानव जीवन किस तरह प्राप्त होता है कितने जन्मों के बाद एक मानव का रूप इंसान के स्वरूप में इस पृथ्वी में जन्म लेता है।उस स्थित में ईश्वर भी उस व्यक्ति का साथ देता है।, यह मानव का स्वभाव बन चुका है।जीवन में अगर खुशियां है, उत्साह है, जोश है तो दूसरी तरफ निराशा भी है। एक समय ऐसा भी आता है जब हिम्मत टूटने लगती है, या कोई हिम्मत तोड़ने लगता है। समझ नहीं आता कि क्या करें। यदि आप भी इस परिस्थिति से चूनौतियां और मुसीबतें हमारी जिंदगी का एक बहुत बड़ा हिस्सा है। यह वो समय होता है जब हमें हिम्मत से काम लेना होता है। आपकी ज़िन्दगी में कोई ऐसा आ जाता है
जो लगातार आपकी हिम्मत को तोड़ता रहता है और ना चाहते हुए भी हम अपनी हिम्मत को खोने लगते हैं।इसको हम दो तरीके से देख सकते हैं पहला हम कुछ ना करें और कोना पकड़कर बैठ जायें। इसका मतलब यह हुआ की आप उस व्यक्ति के सामने अपने घुटने टेक चुके हो। आप अपनी हिम्मत हार चुके हो। दूसरा तरीका है आप समझे ‘यदि मैं हार मान लेता हूँ तो वो व्यक्ति जीत जायेगा।पहले तरीके से तो आप कुछ कर ही नहीं पायेंगे क्योंकि आप हिम्मत हार चुके हैं पर दूसरे तरीके से आप प्रॉब्लम से लड़ने के बारे में सोचेंगे। आप सोच कर दिखिए क्या आप अपने आप को हिम्मत दे रहे हैं या अपनी हिम्मत को कमजोर बना रहे हैं। जब भी विपरीत समय आता है, जब भी मुसीबतों के बादल हमारे सर पर छाने लगते हैं तो कोई भी ऐसा इंसान नहीं है जो इससे प्रभवित न हो यानी हर इंसान को दुःख और सुख महसूस होता है चाहें वो कितना भी ताकतवर हो या कितना भी ज्ञानी हो। पर ऐसा क्यों होता है की कुछ लोग हिम्मत हार जाते हैं और कुछ लोग हिम्मत से सामना करते हैं। नकारात्कम बातें बोलते हैं, तुमसे यह नहीं होगा, तुम यह नहीं कर पाओगे। ऐसे लोगों का सिर्फ एक ही काम होता है आपके मनोबल को तोडना, आपकी हिम्मत को तोडना।ऐसे लोग ज़िन्दगी में खुद सफल नहीं हो पाये या थोड़ी बहुत सफलता हासिल कर ली और अपने आप को ऊपर दिखाने के लिए आपको नीचे दिखाने की कोशिश करते हैं, उन्हें यह डर भी होता है कि कही आप अपने लक्ष्य में सफल न हो जाएँ कुल मिलकर ऐसे लोग आपसे जलते हैं। ऐसे में आप क्या करेंगे ? ज्यादातर लोग उनकी बातों में आकर अपनी हिम्मत को खो देते हैं या फिर उनसे लड़ते हैं। पर इन दोनों बातों में आपका ही नुक्सान हैं। आप कही न कही आप अपनी हिम्मत को हार रहे होते हैं और वो व्यक्ति जीत रहा होता है।
इससे बचने के दो तरीके हैं पहला ऐसे लोगों से दूरी बनाकर रखें और दूसरा उनका सामना करें – जब भी कोई व्यक्ति आपको नकारात्मक बातों से घेरने की कोशिश करें, आप अंदर ही अंदर हसना शुरू कर दीजिये। जब आप अंदर ही अंदर हसते हैं, आप अंदर ही अंदर अपने आप को मज़बूत बना रहे होते हैं।
आप सोचे की मैंने ऐसे व्यक्ति को पहचान लिए है और आप अंदर ही अंदर हसना शुरू कर दें। ऐसा करने से आपका कॉन्फिडेंस बढ़ जाता है। अब जब भी आपको ऐसा व्यक्ति दिखाई दें आप यह मान लें की अब समय आपके अंदर से हसने का है। इस बात को सकारात्मकता से लें फिर कोई भी व्यक्ति आपकी हिम्मत को तोड़ने की हिम्मत नहीं करेगा।
दूसरे दर्जे में वो व्यक्ति आते हैं जिसको आपके काम से कोई मतलब नहीं वो सिर्फ आपसे मज़ा लेते हैं और चाहते हैं आप उनकी बातों से बुरा मान जायें और अपनी हिम्मत हार जायें। ऐसे व्यक्तियों की आपसे कोई पर्सनल दुश्मनी नहीं होती वो सिर्फ आपसे मज़ा लेते हैं और ज्यादातर ऐसे लोग ग्रुप बनाकर ऐसा करते हैं। ऐसे में आप क्या करेंगे। यहाँ भी आपके पास दो तरीके हैं पहला आप ऐसे लोगों से बचें, पर आप उन लोगों से जितना भी बचने की कोशिश करें वो आपको ढूढ़ ही लेंगे क्योंकि वो समझ चुके हैं की आप उनके लिए मनोरंजन हैं, उनको कोई फर्क नहीं पड़ता की आप क्या फील कर रहें हैं, आपको कितना बुरा लग रहा है।
दूसरा तरीका है शामिल हो जायें। जी हाँ आप भी उनके साथ हसें और सकारात्मक सोच बनाकर अपने ऊपर हँसे और उन्हें भी हसायें। जब आप ऐसा करेंगे तो वो व्यक्ति आपका मज़ाक नहीं उड़ा पायेगा और उस ग्रुप के बाकी लोग उसको छोड़कर आपके साथ मिल जायेगे। याद कीजिये कितने ही स्टैंडप कॉमेडियन हैं जो अपना ही मज़ाक बनाते हैं और हमेँ हसाते हैं। क्या हमने कभी उनका मज़ाक उड़ाया हैं ? बिलकुल नहीं, बल्कि हम सभी उनके फैंस हो जाते हैं। तीसरे दर्जे में वो लोग आते हैं जो अनुभवी हैं और सफल हैं। ऐसे लोगों को पहचानियें। हालांकि वो आपकी कमी बताएँगे पर उनका इरादा आपकी हिम्मत को दौड़ना नहीं बल्कि आपकी कमी बताकर आपके मार्ग को सरल बनाना होता हैं। आपको ऐसे लोगों से बिलकुल नहीं बचना है बल्कि आपको ऐसे लोगों से सीखना है। ऐसे लोगों को ढूढें और उनसे सीखें। अब जब भी कोई आपकी हिम्मत तोड़ने लगे तो यहको याद करें और अपने अंदर विश्वास पैदा करें। बहुत से ऐसे लोग है जिनकी हिम्मत तोड़ने की कोशिश की गई पर अपने विश्वास के दम पर अपनी हिम्मत को बनाकर रखा तो सफल हुए आपको अवश्य मिलेगी यह ईश्वर का दिया हुआ एक वरदान है ,ईश्वर उसी को साथ देता है जो हर कठिनाइयों का सामना करने की हिम्मत रखता है। मैं संक्षेप में आपको एक बात बताना चाहता हूं आदमी जब माता-पिता संस्कार अच्छे बच्चों को देते हैं उस स्थिति में वह व्यक्ति कभी मार्ग से भटकता नहीं है। मैं जा मेरे पिताजी NE रेलवे में सेक्शन ऑफीसर थे उनकी ईमानदारी इतनी थी जब मेरे पिताजी इस वर्ष 79 में इज्जत नगर ne रेलवे बरेली से रिटायर हुए। जो डीआरएम होते हैं रेलवे में उन्होंने 1:00 बजे के बाद दोपहर 1:00 बजे तक कार्य करने के बाद आप इसको डीआरएम ने बंद करा दिया था और असेंबली हाल जो रेलवे का था वहां पर पापा का रिटायरमेंट पर भव्य स्वागत हुआ हजारों लोग थे पूरा असेंबली रेलवे क्या हाल खचाखच भरा हुआ था मैं उस में कक्षा 7 में पढ़ता था पिताजी का यह इतना अच्छा डीआरएम ने अपना भाषण दिया फिर मेरे पापा बोले मेरे बाबूजी ने जो बोला मैं छोटा था लेकिन उनकी आंख में आंसू आए बोलते बोलते मैं पीछे बैठा हूं मां के पास रोने लगा उसके बाद जब असेंबली स्वागत समारोह समाप्त हुआ बरेली में एक मंदिर है वहां से हाथी को बुलाया गया हाथी आया हाथी के ऊपर मेरे पिताजी बैठे हैं डीआरएम छाता लगा कर उसी हाथी के ऊपर बैठे हैं पूरी रेलवे कॉलोनी आई जट नगर बरेली को घुमाई गई और पीछे पीछे जनता ऐसा ऐतिहासिक रिटायरमेंट मैंने आज तक बहुत से लोगों का रिटायरमेंट हुआ है पता नहीं चलता है मेरे पिता इतने ईमानदार थे 1:00 बजे के बाद छुट्टी की घोषणा कर दी और पूरे उनके स्वागत समारोह में पापा मेरे बाबूजी के लगे रहे।जब पूरा रेलवे कॉलोनी जिसका दायरा करीब तीन-चार किलोमीटर का है पूरा काफिला घुमा कर जा पापा घर पर आए घुमा फिरा कर जब पिताजी घर पर पहुंचे वहां पर लड्डू वगैरा पापा ने इंतजाम कर रखा था सभी को वितरण किया गया और जो पापा माला पहने थे वह माला आज भी मेरे पास बक्से में रामायण के साथ और डीआरएम ने जो बुक दीदी थी तथा रामायण की बुक दी थी उसके साथ आज मेरे पास सुरक्षित रखी है वह मुझे प्रेरणा देती है पापा की इमानदारी और सच्चाई के साथ जीने की राह पर मुझे हर संकटों से ईश्वर के साथ मेरे बाबूजी मुझे मदद करते हैं। इसलिए मेरे पिताजी की 1930 में मृत्यु के बाद मैं आज तक जीवन में संघर्ष ही कर रहा हूं अन्याय के खिलाफ या किसी व्यक्ति के उत्पीड़न के खिलाफ पर बहुत संगठनों के बाद मेरी जीत हमेशा हुई है इसका मुख्य कारण मेरे पिताजी के द्वारा सच्चाई के पद पर किए जाने वाले संस्कार इमानदारी झूठ फरेब से दूर रहना यह सब अपने जीवन में हमने देखा और सुना मुझे बहुत शक्ति मिलती है और मैं उन लोगों से कहना चाहता हूं जो बुरे वक्त में सामना ना करते हुए आत्महत्या कर के जीवन को समाप्त कर देते हैं ।iमेरा उनसे हाथ जोड़कर विनम्र निवेदन है मानव शरीर बड़ी मुश्किल से मिलता है कठिनाइयों का सामना करिए मुकाबला करिए ईश्वर पर भरोसा करिए मैं विश्वास दिलाता हूं जीत आपकी है आपकी होगी यह 100% मैं आपको विश्वास दिलाता हूं।
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