हमीरपुर, महेश अवस्थी । किशनू बाबू शिवहरे महाविद्यालय सिसोलर में विमर्श विविधा के अंतर्गत सामयिक संदर्भ के तहत अन्तर्राष्ट्रीय बालिका दिवस पर बालिकाएं , शिक्षा और समाज एक आकलन की कार्यशाला में प्राचार्य डॉ भवानीदीन ने कहा आजादी के लगभग साढे सात दशकों बाद आज भी देश मे बालिकाओ की अस्मिता प्रश्नचिन्हित है, वे अपनी सुरक्षा को लेकर निश्चिंत नहीं हैं । यह प्रश्न आज भी यक्ष प्रश्न क्यों बना हुआ है ,आज भी रेप का प्रश्न अनुत्तरित है, इसके मूल मे जाने से यह प्रतीत होता है कि अभी भी देश मे सन्स्कारित शिक्षा का अभाव है । पुरुष समाज का चिन्तन क्षितिज दूषित और अवसरवादी है । समस्या की गम्भीरता को देखते हुये संयुक्त राष्ट्र ने 2011 में अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस घोषित किया था, जिसके द्वारा पूरे विश्व से यह अपेक्षा की गयी थी कि बालिकाओं की सुरक्षा को लेकर सारे देश सम्वेदनशील हो । भारत मे भी बेटी पढाओ,बेटी बचाओ का नारा दिया गया,किन्तु परिणाम वाँछित नहीं रहै ।
भारतवर्ष हो या न कोई देश, बालिकाओं की सुरक्षा की समस्या आज भी सुरसा के मुंह की तरह फैली हुई है । चारों ओर समस्या ही समस्या है । पहले भारत में दिसंबर 2012 में निर्भया कांड के बाद बलात्कार को लेकर कड़े कानून बनाए गए, किंतु बलात्कार के मामले में कोई बदलाव नहीं आया । पहले हर दिन 69 रेप हुआ करते थे, आज उनकी संख्या बढ़कर 88 हो गई है, ऐसी स्थिति में बालिकाओं की सुरक्षा एक बार फिर प्रश्नो के कटघरे मे खडी हो गयी । इसलिए आज सबसे बडी आवश्यकता है कि परिवार तथा कालेजों मे युवाओं को संस्कारित शिक्षा प्रदान की जाए, तभी सकारात्मक परिणाम प्राप्त होगें । डा लालता प्रसाद, प्रदीप यादव और अखिलेश सोनी ने विचार रखे, साथ ही आरती गुप्ता, राकेश यादव ,गनेश शिवहरे , आनन्द विश्वकर्मा, गंगादीन प्रजापति, सुरेश सोनी उपस्थित रहे । सन्चालन डा रमाकांत पाल ने किया।
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