कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चैथ का व्रत होता है। करवा चैथ के दिन को करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। इस साल चतुर्थी तिथि का आरंभ 4 नवंबर को प्रात 03:24 पर होगा और यह 5 नवंबर सांय 5रू14 तक रहेगी। बुधवार के दिन करवा चैथ सर्वार्थ सिद्धि व शिव योग में मनाया जाएगा। बुधवार पड़ने के कारण इसकी महत्ता और भी बढ़ गई है क्योंकि बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां पति के स्वास्थ आयु एवं मंगल कामना के लिए व्रत करती है यह व्रत सौभाग्य और शुभ संतान देता है प्रातः काल स्त्रियां स्नान आदि करके आचमन करके सुख सौभाग्य का संकल्प करके व्रत करती है व्रत में शिव पार्वती, कार्तिकेय, गणेश तथा चन्द्रमा का पूजन करने का विधान है। स्त्रियाँ चन्द्रोदय के बाद चन्द्रमा के दर्शन कर अध्र्य देकर जल और भोजन ग्रहण करत है पूजा के बाद सास का आर्शीवाद लेती है। इस वर्ष करवा चैथ पूजा मुर्हूत सांय 5ः21 से 6ः39 है।
करवा चौथ व्रत कथा-
इंद्रप्रस्थ नगरी में वेद शर्मा नामक एक विद्वान ब्राहाण के सात पुत्र तथा एक पुत्री थी जिसका नाम वीरावती था। उसका विवाह सुदर्शन नाम एक ब्राहाण के साथ हुआ। ब्राहाण के सभी पुत्र विवाहित थे। एक बार करवा चैथ के व्रत के समय वीरावती की भाभियों ने तो पूर्ण विधि से व्रत किया, किन्तु वीरावती सारा दिन निर्जल रहकर भूख न सह सकी और उसकी तबियत बिगड़ने लगी। भाईयों ने वीरावती को व्रत खोलने के लिये कहा किन्तु उसने कहा कि वह करवा चैथ का व्रत चंद्रमा देखकर ही खोलेगी। यह सुनकर भाईयों ने बाहर खेतों में जाकर आग जलाई तथा ऊपर कपड़ा तानकर चंद्रमा जैसा दृश्य बना दिया और जाकर बहन से कहा कि चांद निकल आया है अघ्र्य दे दों। यह सुनकर वीरावती ने अघ्र्य देकर खाना खा लिया। नकली चंद्रमा को अघ्र्य देने से उसका व्रत खंडित हो गया तथा उसका पति अचानक बीमार पड़ गया। वह ठीक न हो सका। एक बार इंद्र की पत्नी इंद्राणी करवा चैथ का व्रत करने पृथ्वी पर आई। इसका पता लगने पर वीरावती ने जाकर इंद्राणी से प्रार्थना की कि उसके पति के ठीक होने का उपाय बताएं। इंद्राणी ने कहा कि तेरे पति की यह दशा तेरी ओर से रखे गये करवा चैथ व्रत के खंडित हो जाने के कारण हुई है। यदि तू करवा चैथ का व्रत पूर्ण विधि विधान से बिना खंडित किये करेगी तो तेरा पति ठीक हो जायेगा। वीरावती ने करवा चैथ का व्रत पूर्ण विधि से संपन्न किया जिसके फलस्वरूप उसका पति बिल्कुल ठीक हो गया। करवा चैथ का व्रत उसी समय से प्रचलित है। द्रोपदी ने भी यह व्रत भगवान कृष्ण के कहने पर किया था
- ज्योतिषाचार्य-एस.एस.नागपाल, स्वास्तिक ज्योतिष केन्द्र, अलीगंज, लखनऊ
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