देवेश प्रताप सिंह राठौर
(वरिष्ठ पत्रकार)
...............विश्व में एक देश ऐसा है जिसका नाम पाकिस्तान है जिसमें विश्व के सबसे ज्यादा आतंकवादी का संगठन पाकिस्तान की सरकार द्वारा तैयार किया गया और जितने भी विश्व के सबसे बड़े आतंकवादी उग्रवादी सभी शरण स्थली पाकिस्तान है। पाकिस्तान प्रधानमंत्री इमरान खान जब कभी टेलीविजन पर दिखाई देते हैं अपने मंत्रालय के साथ उनका चेहरा देखो कुर्सी हिलाते रहते हैं और घूरते रहते हैं। जैसे सामान्य तौर पर व्यक्ति होता है वह वहनहीं है, तथा सामान तौर पर जो व्यक्ति होता है वह भाव उनके बिल्कुल स्पष्ट और नहीं दिखाई देते हैं चिंता की लकीरें और जिस तरह से कुर्सी हिलाते रहना कुछ ना बोलना स्पष्ट तौर पर उनकी मानसिक बीमारी से पूर्ण रूप से ग्रस्त हैं। मैं दावे के साथ कह सकता हूं मजबूरी में उप प्रधानमंत्री का पद लिए बैठे हैं जबकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की कोई औकात नहीं होती है जो निर्णय ले सके विना सैन्य प्रमुख के बगैर, इमरान खान की स्थिति को देखते हुए सिद्ध करता है कि मानसिक रोगी से पूर्ण रूप से पीड़ित है। तथा जो इमरान खान के वक्तव्य जो होते है पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान का जो चेहरा और जो तरीका प्रधानमंत्री का होना चाहिए जताता है कि उन्हें इतिहास की सही जानकारी नहीं है. इसके साथ ही वो वर्तमान से भी परिचित नहीं हैं.अगर ऐसा नहीं होता तो वे एक प्रधानमंत्री होने के नाते कम से कम इस तरह की ग़लतबयानी नहीं करते. तथ्य कभी बदलता नहीं है., पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की पाकिस्तान में कोई भी वैल्यू नहीं है वहां पर सरकार किसी की भी रहे लेकिन वहां पर वर्चस्व और आदेश सेना का जलता है।विभाजन के बाद 1951 में भारत में जब पहली बार जनगणना हुई थी, उस वक़्त देश में मुसलमानों की आबादी नौ फ़ीसदी थी.साल 2011 में ये आबादी बढ़कर 14 फ़ीसदी हो गई, जबकि इसी दौरान हिंदू आबादी 84 फ़ीसदी से घटकर 79 फ़ीसदी से कुछ अधिक रह गई.ये दिखाता है कि भारत में धर्म के आधार पर और वर्तमान दोनों के साथ नाइंसाफ़ी कर रहे हैं. किसी प्रधानमंत्री से ऐसी उम्मीद नहीं की जाती है कि वो तथ्यों के विपरीत जाकर बयानबाज़ी करें.इमरान ख़ान का ये कहना कि आरएसएस हिटलर और मुसोलिनी को रोल मॉडल मानता है और संघ उनकी विचारधारा को आगे ले जाना चाहता है. यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रति पाकिस्तान की बौखलाहट दर्शाता है और ये अकारण भी नहीं है.इसके पीछे जो तर्क है कि संघ लगातार जम्मू और कश्मीर को
हिंदुस्तान का अभिन्न हिस्सा मानता रहा है और इसके लिए किसी एक दिन में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है.। भारत और पाकिस्तान और चीन दोनों तरफ से और तीसरा नेपाल भी गद्दारी पर उतर आया है इन सबके बीच में अकेले स्तंभ के रूप में खड़ा हुआ है भारत को हराने की सोच रखने वालेदेश ऐसे मुंह की खाएंगे जिन्हें समझ में आ जाएगा कि भारत सन 1962 का नहीं है भारत के 10 जवान चीन के 100 जवान को मारने में सक्षम है। जब बलवान घाटी में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे उसमें चीन के भारत में उन्हीं की लोहे की छड़ी को छीन कर चीन के 60 जवान जवानों को मृत्यु की सैया पर लिटा दिया था। यह है भारत का पराक्रम शक्ति और सत्य की लड़ाई का सबसे बड़ा अस्त्र भारत के पास है जिसे विश्व की कोई ताकत कमजोर करने में सक्षम नहीं है यहां का हर एक जवान विश्व की थल सेना में सबसे वीर है।किसी की हैसियत नहीं है जल थल नभ में भारत से आज मुकाबला कर सके सौ बार सोचेगा युद्ध के लिए भारत से युद्ध करने की सोच रखने वाले खुद अपने मौत को दावत दे रहे हैं।
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